Monday, March 14, 2011

कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक सामग्री की सप्लाई बैतूल जिले के कपीलधारा कूपो के निमार्ण में उपयोग लाई सामग्री का कोई हिसाब - किताब नहीं...?


कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक सामग्री की सप्लाई
बैतूल जिले के कपीलधारा कूपो के निमार्ण में उपयोग लाई सामग्री का कोई हिसाब - किताब नहीं...?
बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायते इन दिनों सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी ने जिला पंचायत बैतूल में अफरा - तफरी मचा दी हैं। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री चौहान द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम की अपील   की सुनवाई के दौरान सभी दस जनपदो को मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देश जारी करने के एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी किसी भी जनपद या ग्राम पंचायत द्वारा आवेदक को विस्फोटक सामग्री  की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है। आवेदक को कोई भी पंचायत या सचिव यह जानकारी देने को तैयार नहीं हैं कि उसके द्वारा कपीलधारा कूप योजना के तहत उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री की सप्लाई किस व्यक्ति द्वारा करवाई गई हैं। कई ग्राम पंचायतो के तो यह हाल हैं कि उनके आसपास के सचिवो के परिवार जनो के नाम पर ही बारूद की सप्लाई दर्शा दी गई हैं जबकि उनके पास फटाखा तक का लायसेंस नहीं है। बैतूल जिले के यह हाल हैं कि भीमपुर जनपद की ग्राम पंचायत धामन्या के सचिव बादल सिंह कहते हैं कि उसे तो यह तक नहीं मालूम की बारूद या अन्य विस्फोटक सामग्री कहां से किस हिसाब से आई और उसका भुगतान किया गया। बादल ने यू एफ टी को साक्षात्कार के दौरान बताया कि आसपास की ग्राम पंचातयो में मारूति एवले जो कि ग्राम पंचायत चंादू - रंभा के सचिव रमेश एवले के भाई है। सचिव के भाई के पास तीस से पैत्तीस विस्फोटक मशीने एवं टे्रक्टर एवं ट्राली हैं। बैतूल जिले के करोड़पति सचिवो की गिनती में शुमार रमेश एवले का आसपास की ग्राम पंचायतो में जलवा हैं। रमेश भाऊ के नाम बहुचर्चित इस सचिव के परिवार के किसी भी सदस्य के पास विस्फोटक सामग्री की सप्लाई एवं परिवहन का जिला कलैक्टर कार्यालय द्वारा जारी लायसेंस भी नहीं हैं। इसी तरह बैतूल जिले की तीन जनपदो के ढाई सौ से अधिक ग्राम पंचायतो में गुदगांव खोमई के एक व्यक्ति बब्बू शेखावत द्वारा सप्लाई की गई जिसकी आवक सप्लाई का दस प्रतिशत भी नहीं हैं। बैतूल जिले में वैसे तो तीन बड़े विस्फोटक सामग्री के सप्लायर हैं जिसमें से दो के द्वारा किसी भी ग्राम पंचायत को सीधे तौर पर न तो सप्लाई की गई और न उनके द्वारा कोई भुगतान पाया गया। ऐसे में सवाल यह उठता हैं कि बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो में वित्तीय वर्ष ृ2008 एवं 2009 तथा 2009 एवं 2010 में कपीलधारा के तहत खुदवाये गये कूपो के निमार्ण में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री या तो सागर से लापता हुए सौ ट्रको की है या फिर विदेशी मुल्क पाकीस्तान और उसके मददगार संगठन तालीबान के द्वारा भारत में जगह - जगह पर विस्फोट करने को भेजी गई खेप में से हैं। इस समय बैतूल जिले के कपील धारा के कूपो में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री बारूद , जिलेटीन , डिटोनेटर्स व अन्य सामान आखिर बैतूल जिले में आया कहां से ....? कुछ लोगो का कहना हैं कि खोमई स्थित विस्फोटक सामग्री के संग्रहण गोदाम में समुद्र के रास्ते से मुम्बई ,भुसवाल , बडनेरा , अमरावती , परतवाड़ा होते हुई खोमई पहुंची। इस काम में शामिल गिरोह के द्वारा बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो में से अधिकांश के लिए सप्लाई की गई विस्फोटक सामग्री के बिल पत्रक तथा भुगताप पत्रको की जानकारी तक ग्राम पंचायते उपलब्ध नहीं करवा रही हैं। बैतूल जिले के एक जागरूक पत्रकार द्वारा सूचना के अधिकार नियम के तहत मांगी गई जानकारी न मिलने की स्थिति में जबलपुर उच्च न्यायालय की भी शरण लेगेें। इधर पूरे जिले में बारूर के मामले को लेकर हडकम्प मची हुई हैं। जिले के कुछ भाजपाई सत्तापक्ष का सहारा लेकर बहुचर्चित विस्फोटक सामग्री के सप्लाई बब्बू शेखावत को बचाने में लगे हुए हैं। सबसे अधिक चौकान्ने वाली बात यह हैं कि बैतूल जिले में आवक से दा गुणा अधिक सप्लाई दिखा कर उसका करोड़ो में भुगतान पाने वाले अजगरो के अब जल्द ही पिंजरे में बंद होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बैतूल जिले में बद से बदनाम हो गई कपीलधारा कूप योजना के चलते ही राज्य आर्थिक अपराध अनुवेषण ने बैतूल जिले के पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबू सिंह जामोद के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया हैं। जिसका एक आधार कपीलधारा के कूपो के निमार्ण को लेकर भी बनाया गया हैं। देखना बाकी हैं कि आने वाले समय में बारूद कांड के विस्फोट से कितने आशियाना उजड़ जाएगें।

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