Sunday, March 27, 2011

Betul Kee Khabar: सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्य...

Betul Kee Khabar: सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्य...: "सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्र..."

Betul Kee Khabar: सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्य...

Betul Kee Khabar: सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्य...: "सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्र..."

सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार

सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार
सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार
 बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार लगता हैं कि एकता कपूर के स्ट्रार प्लस एवं उत्सव पर आने वाले टीवी धारावाहिको ज्यादा देखती हैं या फिर वह फिल्मी दुनिया की बहुचर्चित स्वर्गीय ललीता पंवार की आत्मा को अपने शरीर में प्रवेश कर चुकी हैं। हाल ही में ऐसा तब देखने को मिला जब प्रदेश सरकार ने बैतूल जिले की दो देव कन्याओं ताप्ती एवं पूर्णा के साथ अपनी घटिया मानसिकता का परिचय दिया। पुराणो में उल्लेखीत कथा के अनुसार सूर्यवंशी में जन्मी मां ताप्ती का विवाह चन्द्रवंशी राजा सवरण के साथ हुआ था। दस नाते चन्द्रपुत्री मां पूर्णा भले ही ताप्ती की सहेली हो लेकिन रिश्तो में वह ताप्ती जी की बुआ सास कहलाती हैं। वैसे भी देखा जाता रहा हैं कि चन्द्र एवं सूर्य की आपस में पटरी नहीं बैठने के बाद भी ताप्ती एवं पूर्णा का बैतूल जिले से अलग - अलग दिशा में बहता जल प्रवाह भुसावल के पास इन दोनो सहेलियों के मिलन का हुआ हैं। प्रदेश सूर्यवंश में जन्मे प्रतापी राजा राम की रामभक्त भाजपा अब इस जिले में बहने वाली दो प्रमुख धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नदियो के साथ भेदभाव करके अपनी अलग पहचान बनाने में लग हैं। बैतूल जिले की भैसदेही तहसील मुख्यालय स्थित काशी तालाब पुष्पकरणी से निकलने वाली चन्द्रपुत्री मां पूर्णा नदी जिसमें कभी वर्षभर पानी कल-कल कर बहते पानी को सहेज कर रखने के लिए एक मास्टर प्लान को लागू करने जा रही हैं। वैसे तो बैतूल जिले की सभी प्रमुख नदियों में अक्टुम्बर माह के समाप्त होते ही जल का प्रवाह दम तोडऩे लगता है। बैतूल जिले में ताप्ती 250 किलोमीटर तथा पूर्णा 90 किलोमीटर बहती हैं। इस समय जिले में करीब 90 किमी बहने वाली पूर्णा नदी के पुनर्जीवन के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। जिसमें करीब 67 करोड़ रूपए का प्लान तैयार किया गया है। तीन साल की अवधि में यदि इस प्लान पर सही तरीके से काम हुआ तो पूर्णा फिर से दुध की धारा के रूप में बहना शुरू हो लाएगी। सप्तऋषियों की प्यास बुझाने धरती पर आई पूर्णा सप्त ऋषियों के मन में आई खोट के चलते गाय के रूप में प्रगट होकर दुध की धारा बहाती हुई बैतूल जिले की सीमा से बाहर होकर भुसावल में ताप्ती से मिल गई। सरकारी मास्टर प्लान के तहत नदी के उपचार के लिए चुनने का कारण यह है कि नदी में बेस फ्लो स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। जलग्रहण क्षेत्र में उच्च रिसन क्षमता है। इसलिए कंटूर ट्रेंच, कंटूर बोल्डर वॉल, गली प्लग संख्या, कंटूर बंड मेढ़ बंधान, सोक पिट, खेत-तालाब, चेकडैम, स्टापडैम, ड्राप स्पिल वे, बोरीबंधान, तालाब, परकोलेशन टेंक, पुराने चेकडैम सुधार, पुराने तालाबों का सुधार, रिचार्ज साफ्ट, डाइक सहित अन्य तरीकों से यह उपचार का काम किया जाएगा। नदी के उपचार के लिए जिस फार्मूले को तैयार किया गया है उसमें आधारभूत जानकारी का संकलन किया जाएगा। इसके साथ ही परियोजना क्रियान्वयन दल द्वारा संपूर्ण जलग्रहण क्षेत्र एवं नदी पथ का भ्रमण व सर्वेक्षण, ग्रामीण सहभागी समीक्षा के माध्यम से उपलब्ध संसाधनों एवं प्रस्तावित कार्यो की आयोजना, वाटर बजट एवं जल संरक्षण बजट तैयार करना, परिवार सर्वेक्षण एवं नेट प्लानिंग के माध्यम से प्रति खसराबार जल संरक्षण एवं जल संवर्घन संरचनाओं गतिविधियों का चयन, तकनीकी सर्वेक्षण एवं कम्प्यूटर के माध्यम से नक्शों एवं मानचित्रों का डिजीटलाईजेशन तकनीकी प्राक्कलन एवं स्वीकृति प्राप्त करना एवं डीपीआर तैयार कर ग्राम जनपद व जिला पंचायत से अनुमोदन कर तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करना शामिल है। क्षेत्र के भौगोलिक स्थिति एवं भूमिप्रकार को ध्यान में रखकर जो रणनीति बनाई गई है। उसमें भूू जलस्तर में वृद्धि के लिए ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में अधिक से अधिक मृदा एवं जलसंरक्षण के काम किए जाएंगे। वहीं बेस फ्लो का स्तर ऊपर उठाने के लिए मध्य क्षेत्र में जलसंरक्षण एवं संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। पूर्णा नदी के जलसंग्रहण और भूजल रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। पूर्णा नदी के उपचार के लिए मनरेगा से 1033.150, आदिम जाति कल्याण विभाग से 450, जलसंसाधन विभाग से 950, आईटीडीपी भैंसदेही से 480, बीआरजीएफ बैतूल से 250, जन सहभागिता से 152 और राजीव गांधी जलग्रहण मिशन से 15 लाख रूपए की राशि की व्यवस्था की जा रही है। जिसमें उपचार का कार्य किया जाएगा। नदी उपचार के लिए विभिन्न स्तर पर समितियों का गठन और उनके प्रशिक्षण के लिए भी अलग-अलग व्यवस्थाएं प्लान में शामिल है।पूर्णा नदी के तमाम उपचार के बाद यह माना जा रहा है कि 31 मार्च 2013 की स्थिति में चयनित जलग्रहण क्षेत्र के उभयनिष्ठ बिंदू पर पर्याप्त जलप्रवाह के रूप में निश्चित रूप से पूर्णा नदी को पुर्नजीवन मिलेगा। जिससे करीब सात हजार हेक्टेयर सिंचाई के रकबे में वृद्धि होने से 800 हेक्टेयर कृषि का रकबा बढ़ेगा। वहीं 28 ग्रामों में भूजलस्तर में वृद्धि होगी। क्षेत्र में जैव विविधता का संरक्षण होगा।इस प्लान की प्रस्तुति मुख्यमंत्री के समक्ष हो चुकी है और उन्हें भी यह प्लान बेहद पसंद आया है और इस पर काम भी शुरू हो चुका है।कुछ इसी तरह कह महत्वाकांक्षी योजना ताप्ती को लेकर जल संसाधन विभाग एवं आरइएस विभाग ने भी बनाई थी जिसके तहत ताप्ती नदी के 250 किलोमीटर के बहाव क्षेत्र में 25 छोटे स्टाप डेप एवं 250 से अधिक ओव्हरफ्लो रपटो के निमार्ण की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी लेकिन योजना को मूर्त रूप मिलता उसके पहले ही योजना ठंडे बस्ते में चली गई। बैतूल जिले के राजनेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के सूर्यपुत्री मां ताप्ती के प्रति उपेक्षाजनक व्यवहार के चलते बैतूल जिले में अपार जल क्षमता वाली ताप्ती में भले ही ऊपरी जल प्रवाह बंद हो जाता हैं लेकिन 250 किलोमीटर के क्षेत्र में करीब साढे चार सौ से अधिक ऐसे डोह एवं गहरे गडडे हैं जो कि दो सौ से ढाई सौ फिट गहरे हो सकते हैं जिसमें साल भर पानी भरा रहता हैं। यह कोई साधारण बात नही हैं कि हर आधा किलोमीटर पर ताप्ती में कोई न कोई जल सग्रंह के सैकड़ो विशाल भंडार हैं , जहां पर बारहमास पानी की कमी नहीं होती हैं। भले ही ताप्ती नदी ऊपरी तह पर बह नही पाती हैं लेकिन पूरी की पूरी नदी सुखी नहीं पाती हैं। नदी का आंतरिक बहाव मई जून मास में भी देखने को मिलता हैं जअ कोई नदी के बीचो- बीच पोखर या गडड खोदता हैं। ताप्ती के जल संग्रहण के पीछे की कहानी भले ही पिता एवं पुत्री के स्नेह का प्रतिक हो लेकिन बैतूल जिले में यदि ताप्ती का जल प्रवाह यदि छोटे - छोटे रपटे डेमो या ओव्हर फ्लो डेमो को बना कर किया जाता हैं तो ताप्ती नदी के किनारे बसे सैकड़ो गांवो एवं हजारो हैक्टर भूमि का उद्धार हो सकता हैं लेकिन जिस प्रदेश सरकार को ताप्ती के नाम मात्र से चिढ़ हो वह भलां उस नदी को क्यों महत्व देगी जिसके महात्म के आगे गंगा - यमुना तक नतमस्तक हैं। प्रदेश गान में अपनी उपेक्षा के बाद अब नदी के जल संग्रहण के प्रति उपेक्षित बहन के प्रति शनि महाराज की नज़रे कहीं शिवराज सरकार के पतन का कारण न बन जाए। वैसे भी शनि महाराज लोहे के रूप में प्रदेश सरकार के मुखिया के डम्पर कांड पर अपनी नज़र केन्द्रीत करने वाले हैं।



मामा मेरी शादी करवा दो , मेरी शादी करवा दो
शिवराज सिंह चौहान के भांजे - भांजियों की नौ माह में नहीं हुई एक भी शादी
 बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश सरकार के मामा शिवराज के भांजे एवं भांजिया इन दिनो बस एक ही गाना गा रहे हैं कि मामा मेरी शादी करवा दो , मेरी शादी करवा दो ...... प्रदेश सरकार की बहुचर्चित मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का बैतूल जिले में क्या हश्र हो रहा हैं वह इस बात से पता चल जाता हैं कि पिछले नौ माह में एक भी शादी नहीं हो सकी हैं। गरीबों के हाथ पीले कराने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री कन्यादान में जिले के अधिकारी रूचि नहीं दिखा रहे हैं। इसका नतीजा है कि शादी के कई मुहुर्त बीत जाने के बाद भी जिले में नौ महीने के अंदर योजना के तहत एक भी शादी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री कन्या दान योजना के तहत हर वर्ष गरीब युवक-युवतियों के सामूहिक विवाह कराए जाते हैं। इस योजना के तहत विवाह कराने में अधिकारियों की रूचि नहीं होने की वजह से पिछले नौ महीने में एक भी विवाह नहीं हो सका है। वर्ष 2010-11 में जिले की प्रत्येक जनपदों को 100-100 एवं नगर पालिका, नगर पंचायत को 50-50 शादी कराने का लक्ष्य दिया गया था। कुछ जनपदों को छोड़ दिया जाए तो कहीं पर भी लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो सकी है। इस वर्ष भी योजना के तहत शादी को लेकर प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है।मुख्यमंत्री कन्या दान योजना के तहत वर्ष 2010-11 में अप्रैल माह में 207, मई में 597 एवं जून माह में 08 शादियां हुई हैं। इसके बाद से एक भी शादी नहीं हुई है। जबकि शादियों के लिए माह का बंधन निश्चित नहीं किया गया है फिर भी सामाजिक न्याय विभाग की महिला अधिकारी को सरकारी गाडिय़ो में घुमने से फुर्सत नहीं हैं। सरकारी नियमो को ताक में रख कर पूरे जिले में बहुचर्चित इस महिला अधिकारी की बैतूल की सड़को पर ड्रायविंग को लेकर कई बार सवाल उठे हैं लेकिन अपने विभाग के मूल कार्यो से मुंह चुराती इस महिला अधिकारी की कथित दबंगता के चलते कोई भी उनसे यह सवाल करने की स्थिति में नहीं हैं कि पिछले नौ माह में जिले में एक भी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किसी गरीब , बेबस , लाचार , कन्या के हाथ क्यों पीले नहीं हो सके हैं। वैसे देखा जाए तो मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के लिए कोई धार्मिक तीथी या मुहुर्त का कोई बंधन नहीं हैं उसके बाद कभी भी कराई जा सकपे वाली शादी के प्रति महिला अधिकारी का इस तरह का रवैया सरकारी योजना का पलीता निकालने के लिए काफी हैं। कराई जा सकती है। बीते 9 माह में ज्योतिषी विद्यानुसार कई मुहुर्त आकर निकल चुके हैं। बैतूल जिले में ऐसा भी नही हैं कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत गरीब विवाह नहीं करना चाहते। आवेदन करने के बाद भी शादी नहीं करवाई जा रही है। नगर पालिका में ही इस समय पिछले वर्ष के पांच आवेदन पड़े हुए हैं। जिनकी आज दिनांक तक न तो शादी नहीं कराई गई है और न ही उन्हे भविष्य में शादी करवाने का कोई लिखित या मौखिक आश्वासन मिला है। कन्यादान योजना के तहत वर-वधू को दी जाने वाली सामग्री की राशि भी शासन ने बढ़ा दी है। अब शादी के लिए शासन से 10 हजार रूपए की राशि दी जाएगी। जिसमें वर-वधू को नौ हजार का सामान और एक हजार रूपए शादी का खर्चा रहेगा। योजना के तहत अब शादी रचाने वाले को सिलाई मशीन भी दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। पूरे मामले को लेकर जब सुचिता बेक तिर्की, उपसंचालक सामाजिक न्याय विभाग बैतूल से सम्पर्क किया गया तो उनका पलटवार था कि जब कोई आवदेन ही नहीं मिले हैं तो किसकी - किससे शादी करवा दू ......? जब उन्हे आवेदनो की जानकारी दी गई तो फिर उनका गोलमाल जवाब था कि उन्हे पता नहीं चला हैं। मेरे पास आवेदन आएगें तो उन पर विचार किया जाएगा। जब सामाजिक न्याय विभाग को आवेदन करना हैं तो फिर नगर पालिका , नगर पंचायते , जनपद पंचायते , ग्राम पंचायतो द्वारा फिर क्यों आवेदन मांगे जा रहे हैं। इधर जिला प्रशासन का कहना हैं कि जिले के सभी जनपद सीईओ को शादी के लिए युवक -युवतियों के आवेदन लेने के निर्देश दिए हैं। अप्रैल माह में शादी कराई जाएगी।




डाटा एन्ट्री आपरेटर की चयन सूची जारी
बैतूल, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) तथा बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड योजनान्तर्गत डाटा एन्ट्री आपरेटर संविदा की चयन सूची जारी कर दी गई है। परियोजना अधिकारी जिला पंचायत श्री एस.के.मलिक से प्राप्त जानकारी के अनुसार मनरेगा में दस एवं बी.आर.जी.एफ. में आठ अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। उक्त पदों की प्रतीक्षा सूची भी जारी की गई है। चयनित सूची के अनुसार मनरेगा अंतर्गत अनारक्षित वर्ग पुरूष में श्री सतीष कुमार पंवार, श्री सुनील माथनकर तथा तापीदास च$ढोकार तथा अनारक्षित वर्ग महिला में श्रीमति सोनिया खत्री व श्रीमति रानी दुबे का चयन किया गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग में श्री नगेन्द्र कुमार गोरिया अनुसूचित जनजाति वर्ग में श्री श्रवण कुमार क बडे, श्री श्रीराम क बडे, श्री स्वप्निल वाकोडकर, श्री विरेन्द्र कुमार वाघमारे का चयन किया गया है। उक्त पदों की प्रतीक्षा सूची के अनुसार अनारक्षित वर्ग में श्री विजय कवडकर, श्री महेश कुमार परमार, श्री दिलेश पंवार, श्री राजेश पंवार, श्री अनंत कुमार श्रीवास्तव, श्री दिलीप कुमार नावंगे तथा अन्य पिछड़ा वर्ग में श्री महेश कुमार परमार एवं राजेश पंवार को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड योजनान्तर्गत अनारक्षित वर्ग में पुरूष हेतु श्री सतीष कुमार पंवार, श्री संजय खातरकर, श्री श्रवण कुमार क बडे, तथा अनारक्षित महिला हेतु श्रीमति सोनिया खत्री का चयय किया गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षित पद पर श्री नरेन्द्र कुमार गोरिया, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पदों पर श्री जितेन्द्र कुमार आरसे तथा श्री संतोष खातरकर तथा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पद पर श्री मंगलेश कुमार सोनारे का चयन किया गया है। उक्त पदों की प्रतीक्षा सूची में अनारक्षित श्रेणी के लिये श्री विजय कवडकर, श्री दिलीप पंवार, श्री राजेश पंवार, श्री कपिल कुमार राठौर, श्री अमित कुमार मालवीय, श्री रंजीत सिंह राठौर का नाम है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति की प्रतीक्षा सूची में श्री विनोद कुमार उबनारे, श्री आशीष कुमार उपराले, श्री विकास अतुलकर तथा अन्य पिछड़ा वर्ग की प्रतीक्षा सूची में श्री राजेश पंवार एवं श्री कपिल कुमार राठौर का नाम है। गौरतलब है कि उक्त पदों के लिए लिखित परीक्षा, कौशल परीक्षा एवं साक्षात्कार का आयोजन किया गया है।


 कमल का फूल नही चिंगारी हैं, हम भारत कांग्रेसी नारी हैं
शिवराज सरकार के खिलाफ कांग्रेसी महिला नेत्रियों ने हल्ला बोला
बैतूल, शेख गफ्फार , कहते हैं कि पति - पत्नि गृहस्थी रूप रथ के दो पहिए के समान हैं। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित सारनी स्थित सतपुड़ा ताप बिजली घर के कामगारो एवं कांग्रेसी विचारधारा से जुड़े श्रमिक संगठनो के नेताओं एवं कर्मचारियों की पत्नियों ने अपने पति के भविष्य में होने वाले रिटायरमेंट के बाद उत्पन्न होने वाली समस्याओं को लेकर घर का चुल्हा चौका छोड़ कर अजीबो - गरीबो स्टाइल में हल्ला बोल प्रदर्शन कर डाला। सभा में वक्ता से लेकर संचालक तक महिलाएं ही थी और सभी ने कमल छाप भाजपा सरकार को जमकर कोसा और नारेबाजी की। सारनी ताप बिजली घर के मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठनो के नेताओं की श्रीमति जी अपना घर का चूल्हा-चौका छोड़कर अन्य कर्मचारी परिवारों की महिलाओं के साथ सारनी नगर की सड़कों पर उतर आईं। हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर महिलाएं कर्मचारियों की पत्नियों और परिवार की महिलाओं ने सबसे पहले सारनी ताप बिजली घर के बिजली प्लांट में हल्लाबोला और फिर आमसभा की और रैली निकालकर मुख्यमंत्री के शिवराज सिंह चौहान के नाम पर बकायदा नाम ज्ञापन तक सौपा। महिलाएं बिजली कर्मचारियों की सेवा शर्ते व पेंशन की मांग का समर्थन को लेकर प्रदर्शन एवं नारेबाजी कर रही थीं। उल्लेखनीय हैं कि बिजली प्लांट के एक दर्जन कर्मचारी संगठन मिलकर संघर्ष समिति के माध्यम से मंडल से कंपनीकरण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तें व पेंशन निर्धारण की स्थिति स्पष्ट करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। 29 मार्च से उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर रखा है। प्रदेश के 40 हजार बिजली कर्मचारियों के हितों का हवाला देते हुए संघर्ष समिति भोपाल से लेकर कंपनी मुख्यालय जबलपुर तक रैली, ज्ञापन व आमसभा के जरिए आंदोलन कर रही है। इस कड़ी में सारनी मेें प्लांट कर्मचारियों के परिवार की महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। महिलाओं ने पहले प्लांट के गेट नंबर सात पर आमसभा की। 500 से अधिक महिलाएं रैली के रूप में कर्मचारियों के साथ रैली के रूप में चीफ इंजीनियर ऑफिस पहुंची। यहां मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन चीफ इंजीनियर आरके दाते को दिया और कर्मचारियों की मांगें स्वीकार करने की बात कही। कांग्रेसी महिला नेत्रियां भाजपा सरकार पर खूब गरजी और उन्हे बहुंत कुछ बुरा भला तक कहां। रैली एवं सभा में शामिल महिलाएं मंडल में कार्यरत अपने पतियों एवं अन्य कर्मचारियों के समर्थन में सड़को पर जब उतरी तो नजारा ही कुछ और था। पहले तो ऐसा लगा रहा था कि किसी उत्पीडऩ के मामले को लेकर रैली निकाली जा रही हैं लेकिन करीब आने पर पता चला कि महिलाओं अपने आने वाले भविष्य को लेकर चिंतित होकर अपनी भड़ास को निकालने आई हैं। अकसर शांत एवं सरत तथा सहज दिखने वाली महिलाएं घायल शेरनी की तरह दहाड़े मार रही थी। इन सभी नेत्रियो ने पहले प्लांट के द्वार पर और बाद में नगर के शॉपिंग सेंटर में सभाएं की। दोनों जगह महिलाओं ने कर्मचारी हितों को लेकर कंपनी प्रबंधन और सरकार को तमकर कोसा। सभा को महिला कांग्रेस नेत्री श्रीमति ममता पांडे, सावित्री सिंह, प्रमिला पांसे, नीलू दुबे, नम्रता तिवारी, सुमन कुरानिया, गीता बड़घरे और वसुंधरा गायकवाड़ सहित अन्य महिलाओं ने संबोधित किया। उनका कहना था कि वे हर कदम पर कर्मचारियों के साथ हैं। कर्मचारियों और उनके परिवारों के भविष्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मध्यप्रदेश के भाजपाई पंचायती राज का एक कड़वा सच
सरपंच , सचिव, पंचायत इंस्पेक्टर , जनपद सीइओ तक बने करोड़पति
बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का ग्राम स्वराज , सूराज तथा सरकारी कागजी पंचायती राज यदि किसी जिले में सार्थक सिद्ध हुआ हैं तो निश्चीत तौर पर मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले का नाम अव्वल आता हैं। बैतूल जिले में पंचायती राज के सफल सिद्ध होने में रीढ़ की हडड्ी बने ग्राम पंचायतो के सरपंच , सचिव और पंचायत इंस्पेक्टर जो कि इस समय बैतूल जिले के सबसे तेजी बनने वाले करोडपतियों में शामिल हैं। बैतूल जिले के एक पंचायत इंस्पेक्टर को पंचायती राज ने महज 17 सालों में साइकिल से हेलीकाप्टर खरीदनें की स्थिति में ला दिया हैं। यूं तो बैतूल जिले की 558 पंचायतो को दस जनपदो के अधिनस्थ रखा हैं। लेकिन दो जनपदो का एक मालिक बने हैं जिले के मात्र 5 पंचायत इंस्पेक्टर जिनकी माली हालत आज की स्थिति में बैतूल के मामाजी ज्वेलर्स और विनोद डागा की स्थिति में लाकर कर खडा कर दिया हैं। बैतूल जिले में इस समय 5 ग्राम पंचायत इंस्पेक्टर के पास औसतन प्रति इंस्पेक्टर सवा सौ पंचायते हैं। जबकि एकसीइओ के पास बमुश्कील 80 भी ग्राम पंचायते नहीं हैं। मिली जानकारी के अनुसार बैतूल जिले के भीमपुर विकासखण्ड के रतनपुर ग्राम के रहने वाले ग्राम पंचायत सहायक के रूप में 17 साल पहले भर्ती हुए पंचायत कर्मी के पास एक टूटी - फूटी साइकिल थी। आज के समय इस पंचायत इंस्पेक्टर के तथाकथित परीश्रम के चलते उनके पास जेसीबी मशीनो , रोड रोलरो , टेक्ट्रर ट्रालियां , जीपे , कारे और न जाने कितने वाहनो का भंडार हैं। पंचायत इंस्पेक्टर के पुत्र की अपनी प्रायवेट कंस्टे्रक्शन कपंनी भी हैं। यह आरोप कोई और लगता तब तो ठीक था लेकिन भाजपा समर्थक जनपद पंचायत की उपाध्यक्ष श्रीमति परवती बड़ोदे एवं उनके पुत्र भाजपा नेता संतोष बड़ोदे ने उक्त सनसनी खेज मामले को सामने लाकर सनसनी पैदा कर दी हैं। कांग्रेस समर्थक जनपद अध्यक्ष सुनील भलवाी का कहना हैं कि पूरी जनपद में बीस करोड़पति तथा पचास लखपति सचिव मिल जाएगें जिन्होने आज तक अपनी चल एवं अचल सम्पत्ति घोषित नहीं की हैं। जिले की इस कोरकू बाहुल्य जनपद क्षेत्र में सचिवो एवं पंचायत इंस्पेक्टरो की अपनी एक तरफा दादागिरी चलती हैं। जनपद की अधिकांश ग्राम पंचायतो से अपने लिए विभिन्न मदो के फर्जी कार्यो के अपने परिजनो के नाम पर डंके की चोट भुगतान  पर पा रहे इन लोगो का कोई बालबांका नहीं कर पा रहा हैं। अधिकांश सचिवो एवं पंचायत इंस्पेक्टरो की की एक जेब में पंचायती मंत्री गोपाल भार्गव है तो दुसरी जेब में बैतूल से लेकर भोपाल तक की राजनीति हैं। इन सभी पंचायत कर्मियों का जलजला यह हैं कि वे किसी भी नेता , मंत्री , संत्री , अधिकारी का दो मिनट में काम लगा देते हैं। इन सभी धनाढय़ पंचायत कर्मियों की दाद देनी चाहिए कि उनके पास जो कुछ भी हैं वह उनका कुछ भी नहीं हैं सब कुछ उनके बेटे परिवार के सदस्यों एवं अन्य का हैं।

चार सौ रूपए किलो के देशी शुद्ध घी के साथ
चालिस रूपए किलो कोदो - कुटकी की रोटी खाना पड़ा महंगा
बैतूल, रामकिशोर पंवार: कौन कहता कि भारत गरीब है या भूखा हैं...? आप माने या न माने लेकिन सच हमेशा कड़वा होता हैं। बैतूल जिले के एक आदिवासी मनोहर के परिवार के तीन सदस्यों को गर्मी के दिनों में चार सौ रूपए किलो के शुद्ध देशी घी को चालिस रूपए किलो के कोदो - कुटकी की रोटी के साथ नमक और मिर्च लगा कर खाना इतना मंहगा पड़ा की जान पर आ पड़ी। बैतूल जिले के रानीपुर थाना के एक छोटे से गांव हीरावाड़ी के एक ही परिवार के तीन सदस्य इस समय जीवन और मृत्यु  के बीच झूल रहे हैं। लजीज खाने के शौक में विजय आत्मज मनोहर , किरण बाई जौजे दिलीप एवं अनुसईया जौजे मनोहर ने कोदी की रोटी पर घी लगा कर लाल मिर्च और नमक लगा कर खा तो लिया लेकिन बाद में जब विषाक्त बने खाने के चक्कर में जिला चिकित्सालय में भर्ती हुए तीन लोगो के स्वास्थ में कोई सुधार नहीं आ सका हैं। वैसे तो पूरे परिवार के छै सदस्यों ने भोन किया था। अपने खाने-पीने के मामले में थोड़ी सी लापरवाही जान की दुश्मन बन जाती है। इस समय बैतूल जिले में दूषित भोजन की वजह से बीमार होकर ग्रामीणो का जिले के विभिन्न अस्पतालों में आना शुरू हो गया हैं। हाल ही में झल्लार थाना क्षेत्र के ग्राम हथनानिझरी में दही और गोभी की सब्जी खाने से रात एक ही परिवार के दस लोग बीमार हो गए। वहीं एक अन्य घटना में रानीपुर थाना क्षेत्र के ग्राम हीरावाड़ी में कोदो की रोटी खाने से छह लोगों की तबीयत बिगड़ गई जिसमें तीन की हालत ज्यादा खराब बनी हुई है। ग्राम हथनाझिरी निवासी झिंगू पिता संतू ने बताया कि रात में दही और गोभी की सब्जी के साथ भोजन किया था। भोजन करने के कुछ देर बाद परिवार के सभी सदस्यों की हालत बिगडऩे लगी। एक के बाद एक सभी दस सदस्यों को उल्टी शुरू हो गई। उल्टी होने से दो बच्चे बेहोश भी हो गए। परिवार के सदस्यों की तबीयत बिगडऩे की खबर गांव में लगी तो ग्रामीण घर आ गए। ग्रामीणों ने ही तत्काल इसकी जिला अस्पताल में सूचना दी। एम्बुलेंस की सहायता से सभी को अस्पताल में भर्ती कराया है। पीडि़तों के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। परिवार के मुखिया झिंगू ने बताया कि बताया कि पड़ोस में एक व्यक्ति के घर से दही लाया था और खुद के घर में भी चार दिन पहले दही जमाया। रात में दोनों ही दही मिलाकर गोभी की सब्जी के साथ परिवार के सदस्यों ने खाया था। दही में ही खराबी के कारण परिवार के सदस्य बीमार हुए हैं। वहीं दही नहीं खाने के कारण बड़ी बहू की तबीयत ठीक है। वहीं जिस घर से दही लाया था उनके परिवार के सदस्यों की भी तबीयत ठीक है। दही खाने से दस वर्षीय गायत्री, आठ वर्षीय नितेश, छह वर्षीय कृष्णा, उन्नीस वर्षीय संध्या, सोलह वर्षीय दीपक, उन्नीस वर्षीय वंदना, बारह वर्षीय वर्षाय, 48 वर्षीय झिंगू, 45 वर्षीय बाया, 18 वर्षीय तुलाराम बीमार हो गए। गर्मी का मौसम आते ही जिले में फुड पाइजनिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी हो गई है। इसके पहले भी पाढर के प्राथमिक स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाले भोजन को चखने के बाद रसोइया बीमार हो गई थी। वहीं घोड़ाडोंगरी में भी आधा सैकड़ा आशा कार्यकर्ता भोजन से बीमार हो चुकी हैं। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह हैं कि दोनो ही आदिवासी परिवार के 13 सदस्यों के इस संवेदशनील मामले में प्रशासन का नकारात्मक रवैया सामने आया हैं। पूरे मामले में कहीं न कहीं स्वास्थ विभाग की लापरवाही भी कम नहीं रही। बरहाल जिले में विषाक्त भोजन के मामले न हो इसलिए लोगो में जागरूकता लाने की जरूरत हैं।

Tuesday, March 15, 2011

Betul Kee Khabar: बैतूल जिले की ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत में...

Betul Kee Khabar: बैतूल जिले की ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत में...: "बैतूल जिले की ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत में चोर - चोर मौसेरे भाई मनरेगा बनी काली कमाई का जरीया: करोड़ो की रिक्वरी बाकी बै..."

बैतूल जिले की ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत में चोर - चोर मौसेरे भाई मनरेगा बनी काली कमाई का जरीया: करोड़ो की रिक्वरी बाकी

 बैतूल, रामकिशोर पंवार: सुप्रीम कोर्ट जांच का निर्देश करे या सीबीआई करे जांच नतीजा सिर्फ यही निकलना हैं कि पूरी मनरेगा ही भ्रष्ट्राचार की गंगा बन चुकी हैं। बैतूल जिले की हर दुसरी ग्राम पंचायत की जांच होने के बाद भ्रष्ट्राचार सिद्ध हो जाने के बाद भी सरपंच से लेकर सचिव तक साफ बच निकल जाते है क्योकि पूरी ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक में चेार - चोर मौसेरे भाई बन चुके हैं। बैतूल जिले की हर दुसरी ग्राम पंचायत पर कम से कम 4 लाख और अधिक से अधिक 40 लाख की रिक्वरी होना हैं लेकिन आज तक किसी के भी गिरेबान में किसी ने झांकने या उसे पकड़ कर जेल में डालने की कोशिस तक नहीं हुई है। सबसे आश्चर्य जनक तथ्य तो यह हैं कि जांच के बहाने भोपाल से लेकर दिल्ली तक के अधिकारी कर्मचारी ,एनजीओ बैतूल जिले की ग्राम पंचायत आते हैं लेकिन सुरा और सुन्दरी के चक्कर में क्लीन चीट देकर चले जाते हैं। जिले में 245 ग्राम पंचायतो के सचिवो को वर्ष 2005 से लेकर 15 मार्च 2011 सस्पैंड करने के बाद बहाल किया जा चुका हैं। सवा सौ से अधिक ऐसे सचिव हैं जिनके पास दो से अधिक ग्राम पंचायतो के प्रभार हैं। स्थिति तो बैतूल जिले की यह हैं कि जिले का पूरा पंचायती राज अटैचमेंट पर चल रहा हैं। इंजीनियर से लेकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी और क्लर्क से लेकर चपरासी तक दुसरे विभाग से अटैचमेंट पर आकर गुलाब जामुन खा रहे हैं। जिले की स्थिति यह हैं कि जिले के अधिकांश इंजीनियरों पर गंभीर भ्रष्ट्राचार के मामले तक चल रहे हैं लेकिन पंचायती राज में अंधेर नगरी चौपट राजा का खेल चल रहा हैं। सबसे अधिक मनरेगा की निमार्ण एजेंसी आरइएस भी भ्रष्ट्रचार की अडड बनी हुई हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ग्राम पंचायत तक के सरपंच को अच्छी तरह मालूम हैं कौन कहां पर क्या खेल कर रहा हैं लेकिन सब एक दुसरे को डरा धमका कर माल कमाने में लगे हुए हैं। आइएस के कार्यपालन यंत्री आरएल मेघवाल से लेकर प्रभारी कार्यपानल यंत्री एस के वानिया तक सर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार के गर्त में समा चुके हैं। बैतूल जिले में पंचायत एवं आरइएस में पोस्टींग के लिए बोली लगती हैं। यही कारण हैं कि जिले में सब इंजीनियर से लेकर एसडीओ एवं कार्यपान यंत्री तक बरसो से बैतूल जिले में अंगद के पंाव की तरह जमे हुए हैं। ताजा मामला काफी चौकान्ने वाला हैं। बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लाक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सरदार त्रिलोक सिंह के द्वारा की गई शिकायत के अनुसार घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के अंतर्गत वर्ष 2007 में पुनर्वास क्षेत्र चोपना में मनरेगा के तहत चारगांव से खकरा कोयलारी तक 2.5 किमी लंबा ग्रेवल मार्ग 19.54 लाख में और महेंद्रगढ़ से रतनपुर तक 2.5 किमी लंबा ग्रेवल मार्ग 19.72 लाख रूपए में निर्माण एजेंसी आरईएस ने पूर्ण होना बताया। इस मामले में लगातार दो वर्ष तक घोड़ाडोंगरी के त्रिलोक सिंह खनूजा ने जिला स्तर पर सड़कों के नाम पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए बिंदुवार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने लोकायुक्त भोपाल को पूरे मामले की शिकायत की। जिसमें लोकायुक्त द्वारा कलेक्टर बैतूल से 12 अप्रैल 2010 को पूरे मामले की जांच कर प्रतिवेदन मांगा। इस मामले में कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर प्रियंका पालीवाल के नेतृत्व में जांच दल बनाया। जिसमें जिला पंचायत के एपीओ शरद जैन, जलसंसाधन विभाग के पीएन गौर और पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यपालन यंत्री को तकनीकी अधिकारी के रूप में शामिल किया गया। इस दल ने मस्टर रोल, बाउचर और एमबी के आधार पर 19 मई 2010 तथा 20 जुलाई 2010 को मौका स्थल जाकर जांच की। इसके बाद 28 अगस्त को अपनी जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी। इस बहुचर्चित जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा था कि शिकायत पत्र में अंकित सभी बिंदुओं पर शिकायत प्रथम दृष्टया सही पाई गई है। जांच में पाया गया कि करीब 40 लाख रूपए की लागत से निर्मित उक्त मार्ग निर्माण में फर्जी मस्टर रोल एवं एमबी तैयार कर शासन की राशि का गबन किया जाना प्रथम दृष्टया प्रमाणित होता है। इस जांच रिपोर्ट में तत्कालीन आरईएस के कार्यपालन यंत्री पर अंगुलियां उठ रही थीं। जांच के उपरांत दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों एवं ठेकेदार पर कोई कार्यवाही होती अचानक पूरी जांच की रिर्पोट का मानचित्र ही बदल गया। पूरी जांच रिर्पोट को अचानक दरकिनार कर उसे पूरी तरह खारिज करते हुए एक नई जांच शुरू हो गई। उक्त जांच बैतूल के एडीएम योगेंद्र सिंह के नेतृत्व में कार्य को मूर्त रूप देती उसके पहले ही जांच के लिए गठित जांच दल कुंभकरणी निंद्रा में चला गया। पांच महीने गुजरने के बाद भी जांच दल अपनी कुंभकरणी निंद्रा से नहीं जाग सका हैं। जिसके चलते जांच दल दो कदम आगे तक नही चल सका और उसे लकवा मार गया। कांग्रेस नेता द्वारा जन प्रकाश में लाया गया उक्त मामला अपने आप में हैरान एवं परेशान कर देने वाला हैं क्योकि जिस तथाकथित अधिकारी की अनुशंसा पर पूर्व में सिद्ध पाई गई जांच रिर्पोट को खारिज किया गया था वह स्वयं कहीं न कहीं इस मामले में जिम्मेदार था। कांग्रेस के नेता श्री त्रिलोक सिंह खनुजा का यह आरोप हैं कि जांच रिपोर्ट बिल्कुल सही थी और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए थी, लेकिन अचानक ही एक नया जांच दल बना दिया और मामला पांच महीने से ठंडे बस्ते में डाल दिया है। बताया जाता हैं कि मार्च 2007 में स्वीकृत इन दोनों मार्गो में 19.54 लाख और 19.72 लाख खर्च किया जाकर अभिलेख में कार्य पूर्ण बताया जा रहा है, लेकिन आज तक सीसी जारी नहीं हुई है जो कि कार्यपालन यंत्री आरईएस की कार्यप्रणाली को संदिग्ध बनाती है। चारगांव से खखरा कोयलारी वाले मार्ग में रेलवे फाटक से खखरा कोयलारी तक 200 मीटर सड़क का काम पूर्व में पंचायत द्वारा कराया गया। जिसमें निर्माण एजेंसी ने बिना काम किए फर्जी देयक व मस्टर रोल के माध्यम से 1.54 लाख का गबन स्पष्टता पाया गया।महेंद्रगढ़ से रतनपुर मार्ग में निर्माण एजेंसी द्वारा तकनीकी स्वीकृति के मापदंडों के विपरित जाकर 400 मीटर मार्ग बनाया गया। जिसमें तीन लाख रूपए की राशि वसूली योग है।उक्त दोनों मार्गो के निर्माण में मस्टर रोल और जॉब कार्ड गलत रूप से भरे पाए गए। लगभग 25 मजदूर ?से भी अंकित है जिन्होंने ने कभी मजदूरी काम नहीं किया और भुगतान भी नहीं लिया।उक्त दोनों मार्ग के निर्माण में संबंधित एमबी में अंकित माप से संबंधित स्थल पर कोई भी खंती मौका स्थल पर उपलब्ध नहीं है। संपूर्ण एमबी फर्जी तरीके से बिना मौका स्थिति पर कार्य कराए भरी गई है।उक्त दोनों मार्ग निर्माण में मुरम की गहराई औसत दस सेंटीमीटर पाई गई। जबकि निर्घारित मापदंड एवं टीएस के अनुसार 15 सेंटीमीटर गहराई होना चाहिए थी, जो कि बहुत कम है।जंगल सफाई के नाम पर चारगांव सड़क पर 21 हजार 270 रूपए एवं महेंद्रगढ़ मार्ग पर 42 हजार 570 रूपए खर्च एमबी में अंकित किया गया है जो कि अनावश्य है। अत: यह राशि वसूलने योग है।क्त दोनों मार्ग पर ग्राम पंचायत द्वारा भी मार्ग निर्माण कराया गया था। इस प्रकार आरईएस द्वारा मात्र मुरम डालकर बिना पानी के मात्र एक बार रोलर चलाकर मार्ग का निर्माण किया जाना पाया गया। पूरे मामले में तब और भी आश्चर्यचकित होना पड़ जाता हैं जब पूरी निमार्ण एजेंसी और घोड़ाडोंगरी की भाजपा का पूर्व ससंदीय सचिव एवं वर्तमान भाजपा विधायक श्रीमति गीता उइके से निकटता बता कर पूरी जांच को ही प्रभावित करने के लिए बकायदा भोपाल से तथाकथित फोन आता हैं और पूरा जिला प्रशासन हरकत में आकर आनन - फानन में पूरी जांच रिर्पोट को रदद्ी की टोकड़ी में डाल देता हैं जिसे बैतूल जिले की बहुचर्चित एसडीएम सुश्री प्रियंका पालीवार द्वारा बिन्दुवार जांच कर शिकायत की परत - दर परत खोल कर पूरी शिकायत को सही साबित कर दी गई। इन सबसे हट कर एक मामला जिला पंचायत का भी सामने आता हैं जिसके अनुसार मनरेगा के तहत होने वाले कार्यो में भारी भ्रष्ट्राचार के आरोप कोई विपक्षी दल के नेता न लगा कर जिला पंचायत की एक सत्ताधारी दल की सदस्या ने लगाते हुए अपनी ही सरकार के मनरेगा के कार्यो को लेकर मची धांधली पर सवाल उठा डाले। शाहपुर एवं घोडड़ोंगरी जनपद की कुछ ग्राम पंचायतो के निमार्ण कार्यो पर भी सवालिया निशान उठा कर अधिकारियों की फजीहत को बढ़ा डाला।
        इधर ग्राम पंचायतो का आडिट करने वाली कम्पनी ने करीब 16 आपत्तियां अपनी आडिट रिपोर्ट में लगाई है। वर्ष 2009-10 के लिए किए गए इस आडिट में यह भी कहा गया है कि इस प्रतिवेदन में उल्लेखित तुलन पत्रक, आय-व्यय पत्रक एवं प्राप्ति तथा भुगतान पत्रक लेखा पुस्तकों से मेल नहीं खाते है। आडिट रिपोर्ट में जो आपित्तयां ली गई है उसमें साफ कहा गया है कि कार्य से संबंधित उपयोगिता प्रमाण पत्र जांचने के लिए पंचायतों में प्रस्तुत नहीं किया। पांच हजार से अधिक के नगद भुगतान प्रमाणकों पर रसीद नहीं लगाई गई है। यहां तक कि मस्टर रोल के प्रपत्र दो और तीन उपयंत्री द्वारा नहीं भरे गए। साथ ही जनपदों ने भी मस्टर रोल में कार्य का नाम और जारी करने की तिथि भी नहीं दशाई गई है। यह तमाम चीजें नियमों के खिलाफ और बड़े गोलमाल की ओर खुला इशारा कर रही है। स्थिति यह है कि भुगतान देयकों पर सरपंचों के अधिकृत हस्ताक्षर भी नहीं है। रोकड़ अवशेष एवं ग्राम पंचायत द्वारा किए गए कार्यो का भौतिक सत्यापन हमारे द्वारा नहीं किया गया है। अंकेक्षण कार्य हेतू हमारे समक्ष सिर्फ कैश बुक, पास बुक और खर्च से संबंधित प्रमाणक ही उपलब्ध कराए गए। कार्य से संबंधित उपयोगिता प्रमाण पत्र को जांचने हेतू प्रस्तुत नहीं किया गया।ग्राम पंचायत द्वारा माप पुस्तिका प्रस्तुत न करने के कारण उससे संबंधित मस्टर रोल अन्य खर्च का मिलान संभव नहीं था।अधिकांशत: पांच हजार रूपए से अधिक के नगद भुगतान प्रमाणकों पर रसीदी टिकट नहीं लगाए गए।ग्राम पंचायत द्वारा योजनान्तर्गत फंड से किसी भी प्रकार की निश्चित अवधि जमा नहीं बनवाई गई।बैंक खातों में जमा दर्शाई गई मजदूरी वापसी से संबंधित कोई जानकारी उपलब्ध नहीं की गई। पूर्ण जानकारी के अभाव में अंकेक्षण का मूलभूत आधार रोकड़ खाते को माना गया है। पंकज अग्रवाल, अग्रवाल मित्तल एंड कंपनी ने बताया कि यह बता पाना संभव नहीं है कि किसी भी कार्य या सामग्री क्रय हेतु किया गया भुगतान अग्रिम है या नहीं। इसके अतिरिक्त हमारे द्वारा रोकड़ खाता एवं उपलब्ध प्रमाणकों के आधार पर किया गया अग्रिम भुगतान अलग से दर्शाया गया है। ग्राम पंचायत द्वारा अचल सम्पत्ति का रजिस्टर संधारित नहीं किया गया है। पंचायत कार्यालय से प्राप्त रजिस्टरों के अतिरिक्त सामान्यत संधारित रजिस्टर के पृष्ठ पूर्व मशीनीकृत नहीं थे। सामान्यत: सभी मस्टर रोल के प्रपत्र 2 व 3 उपयंत्री द्वारा नहीं भरे गए है। जनपद पंचायत द्वारा मस्टर रोल में कार्य का नाम व जारी किये जाने की तिथि अंहिकत नहीं की गई है। सामान्यत: ग्राम पंचायत द्वारा निर्माण हेतु सामग्री क्रय करने के दौरान शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। इसी तरह सामग्री क्रय के व अन्य बिल कच्चे के लिये गये है। भुगतान देयकों पर सरपंच द्वारा अधिकृत हस्ताक्षर नहीं किये गये है। ग्राम पंचायत के अंकेक्षण हेतु कुछ प्रमाणक प्रस्तुत नहीं किए गए। सबसे ज्यादा घोटाले बाज भीमपुर जनपद की स्थिति तो काफी भयाववह है। इस जनपद में तो अधिकांश सचिवो की गिनती करोड़पति एवं लखपतियों में होती है। इन सभी दुरस्थ ग्राम पंचायतो के सचिवो ने उक्त माल कमाने के लिए अपनो को ही लाभ पहुंचाया है। रमेश येवले नामक एक सचिव के पास आज करोड़ो की सम्पत्ति जमा हो गई है। रमेश के द्वारा अपने सचिव कार्यकाल में तथा पूरी जनपदो के की ग्राम पंचायतो में सबसे अधिक भुगतान रमेश येवले सचिव के परिवार के सदस्यों के नाम पर किया गया है। रमेश येवले को टे्रक्टर ट्राली एवं ब्लास्टींग के नाम पर भुगतान किया गया है। आज मौजूदा समय में रमेश येवले सहित दो दर्जन से अधिक सचिवो पर कंसा शिकंजा अब ठीला पड़ता जा जा रहा है। अभी हाल ही में भीमपुर ब्लॉक में आयोजित जनपद पंचायत की समीक्षा बैठक में उपस्थित नहीं होने वाले एडीईओ (विकास विस्तार अधिकारी) को जिला पंचायत सीईओ द्वारा निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा मिटिंग में शामिल नहीं होने वाले सचिवों एवं अन्य कर्मचारियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। यदि वह नोटिस का संतुष्ठ जवाब नहीं देते है तो उनका 15 दिन का वेतन काट लिया जाएगा। जिला पंचायत सीईओ एसएन चौहान ने बताया कि उन्हे शिकायते मिल रही थी जिसके चलते उक्त कार्यवाही की गई। श्री चौहान के अनुसार बैठक में एडीईओ कृष्णा गुजरे सहित सचिव एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित नहीं हुए थे। जिस पर उनके एडीईओ गुजरे को निलंबित कर दिया है। वहीं सचिव सहित अन्य कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। सीईओ चौहान ने बताया कि एडीईओ द्वारा विभिन्न कार्यो के टारगेट को भी समय पर पूर्ण नहीं किया गया था। मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत बन रही ग्रेवल सड़कों को लेकर अभी से सवाल खड़े होना शुरू हो गए है। बताया जा रहा है कि विगत दिनों जो जिला पंचायत अध्यक्ष का गुस्सा योजना मंडल की बैठक में आरईएस पर फूटा था उसकी वजह भी यही सड़कें थीं। सड़कें जिस रफ्तार से बन रही है उसको लेकर संदेह जाहिर किया जा रहा है।लम्बाई कम और दर अधिक बैतूल जनपद अंतर्गत बोरीकास से सालार्जुन तक बन रही 2.80 किलोमीटर लम्बी ग्रेवल सड़क की लागत जहां 51.95 लाख रूपये है। वहीं भरकवाड़ी से खानापुर तक बनने वाली तीन किलोमीटर लम्बी सड़क की लागत महज 33.94 लाख है। लागत में इस अंतर को लेकर पंचायती राज के जनप्रतिनिधी अब सवाल खड़े कर रहे है।एक महीने में 40 प्रतिशतबोथी सियार से मांडवा 1.3 किमी, बोरीकास से सालार्जुन 2.80 किमी, आरूल से खाटापुर 2.2 किमी, भकरवाड़ी से खानापुर तीन किमी और बारवी से डोडरामऊ 3.75 किमी की जब जनपद पंचायत बैतूल अध्यक्ष ने समीक्षा की थी तो दिसम्बर में काम प्रारंभ ही हुआ था और अब निर्माण एजेंसी आरईएस 40 प्रतिशत तक काम हो जाना बता रही है। 
                मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में पंचायती राज्य में सरपंच सचिवो की मनमर्जी के आगे सरकारी योजनाओं को हश्र हो रहा है वह किसी से छुपा नहीं है। इस समय बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो के आधे से ज्यादा के सरपंच सचिवो के नीजी एवं परिजनो के वाहनो को नरेरा के तहत मिलने वाली राशी से भुगतान किया जा रहा हैं। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की ग्राम पंचायतो से सबसे अधिक भुगतान उन कृषि कार्यो के लिए पंजीकृत टे्रक्टर ट्रालियों को हुआ हैं जो व्यवसायिक कार्यो के लिए प्रतिबंधित हैं। जिले में इसी तरह पानी के टैंकरो , रोड रोलरो , जेसीबी मशीनो , ब्लास्टींग मशीनो आदि को किया गया भुगतान भी नियम विरूद्ध किया गया है। बैतूल जिले की प्राय: सभी ग्राम पंचायतो के सरपंच एवं सचिवो से नियम विरूद्ध कार्य करके अतिरिक्त भुगतान करने पर रिकवरी के आदेश के जारी होने के तीन माह बाद भी एक भी सरपंच एवं सचिव से रिकवरी नहीं हो सकी हैं। पूरे जिले में साठ करोड़ के लगभग राशी की रिकवरी होना हैं। राजनैतिक संरक्षण एवं अधिकारियों की कथित मिली भगत के चलते आडिट आपत्तियों के चलते की जाने वाली रिकवरी शासन के खाते में नहीं जा सकी है। बीती पंचवर्षिय योजना में बैतूल जिले के प्राय: सभी सरपंच एवं सचिवो की सम्पत्ति में काफी इजाफा हुआ हैं। गांव के विकास के नाम पर जारी हुआ एक रूपैया का नब्बे पैसा सरपंच सचिवों की आलीशान कोठियों , चौपहिया वाहनो एवं बैंक बैलेंसो को बढ़ाने में उपयोगी साबित हुआ हैं। जिले के करोड़पति सचिवों में भीमपुर विकास खण्ड के यादव समाज के सचिवों का नाम सबसे ऊपर हैं। लोकायुक्त एवं राज्य आर्थिक अपराध अनुवेषण के कार्यालय तक भेजी गई सैकड़ो शिकवा , शिकायते आज भी फाइलों में बंद पड़ी हुई हैं। बैतूल जिले के पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबू सिंह जामोद के खिलाफ बीते माह ही आर्थिक अपराध अनुवेषण द्वारा बैतूल जिले में उनके तीन साल में नरेरा , कपिलधारा के कूप निमार्ण कार्यो के अलावा एक दर्जन से अधिक कार्यो में हुए भ्रष्ट्राचार को लेकर प्रकरण दर्ज हुआ हैं लेकिन प्रकरण के संदर्भ में इस भ्रष्ट्राचार की जड़ कहे जाने वाले सरपंच एवं सचिवों के गिरेबान तक किसी के भी हाथ नहीं पहुंच सके हैं। आय से अधिक सम्पत्ति जमा करने वाले करोड़पति बने रमेश येवले , महेश उर्फ बंडू बाबा , जगदीश शिवहरे, सहित सवा सौ सचिवों को लोकायुक्त से लेकर सीबीआई तक की जांच के दायरे में शामिल करने का प्रयास किया गया है। एक स्वंयसेवी द्वारा भेजी गई शिकायती पुलिंदा में सीबीआई को विशेष से इसकी जांच का निवेदन किया है जिसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि केन्द्र सरकार से भेजे गए अरबो - खरबो के अनुदान से कई सचिवो की माली हालत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। जांच में इन बातो का भी उल्लेख किया गया हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में निलम्बित सचिवो को पुन: बहाल कर उसी स्थान पर क्यों पदस्थ किया गया हैं। जांच में इस बात को ध्यान में रखा जाए कि आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा भेजी गई अरबो - खरबो की राशि का नरेरा में उपयोग कितना हुआ है और कितना नहीं हुआ हैं।
                     बैतूल जिले में रोज सामने आ रही मनरेगा के कार्यो की गुणवत्ता एवं भ्रष्ट्राचार की शिकवा शिकायतों की यदि सीबीआई से लेकर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) तक जांच शुरू करेगी तो उन्हे छै महिने के बदले छै दिनो में ही हाईपरटेंशन की बीमारी हो जाए। सप्ताह में हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में आने वाली हर दुसरी - तीसरी शिकायते मनरेगा के कार्यो एवं भुगतान को लेकर होती हैं। उक्त शिकायतों पर कार्यवाही क्या होती है या क्या हो चुकी हैं इस बात की किसी को पता नहीं लेकिन शिकायतों के बाद पैसे हल्का होने वाला सरपंच - सचिव जब आप खोकर गांव के लोगो को गंदी - गंदी गालियां देते हुए धमकाने लगते हैं तब शायद गांव वाले ही खबर का असर समझ कर फूले नहीं समाते हैं। मनरेगा को लेकर गांव से जिला मुख्यालय तक शिकायतों की आड़ में होने वाली सौदेबाजी का खेल चलता है। शिकायतों को लेकर गांव वालो के कथित ब्यानो एवं सच का पता लगने वाला मीडिया से लेकर जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी तक गांव तक पहुंचने के बाद मैनेज हो जाता हैं और गांव का गरीब जाबकार्ड धारक बार - बार जेब का पैसा खर्च करके जिला कलैक्टर से यह तक सवाल नहीं कर पाता हैं कि उसकी शिकायतें पर कोई सुनवाई क्यों नहीं हुई। आज यही कारण हैं कि गांव में भी ब्लेकमेलरो की दिन प्रतिदिन संख्या में इजाफा होते जा रहा हैं। गांव में ही सरपंच एवं सचिवो को पहले चरण में कथित शिकायतों को लेकर ब्लेकमेल करने के बाद सौपा न पटने की स्थिति में शिकायत करता स्वंय के रूपए - पैसे खर्च करके गांव वालों की भीड़ मंगलवार की जन सुनवाई में लाने से लेकर मीडिया तक को मैनजे करके मनरेगा के कार्यो को लेकर पेपरबाजी करवाता हैं। जितनी ज्यादा पेपरबाजी होती हैं उसके हिसाब से ब्लेकमेलर एवं सरपंच - सचिव के बीच सौदेबाजी होती हैं। कई बार तो दलाली के काम में जनपद के मुख्यकार्यपालन अधिकारी से लेकर राजनैतिक पार्टी के जनप्रतिनिधि तक अहम भूमिका निभाते हैं। आज का पंचायती राज कुल मिला कर रेवड़ी बन गया है जिसे हर कोई बाट का छीन कर खाना चाहता हैं। एक सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार बैतूल जिले में 6 जनवरी दिन मंगलवार वर्ष 2009 के बाद आज दिनांक तक हर मंगलवार याने दो साल पौने दो माह में लगभग 104  मंगलवार को लगे बैतूल जिले के जनसुनवाई शिविर में कुल तीस हजार पांच चालिस शिकायते दर्ज हुई है जिसमें से सोलह हजार नौ सौ तीस शिकायते बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो के गांवो से मनरेगा के कार्यो एवं भुगतान को लेकर आई है। प्रशासन के पास $खबर लिखे जाने तक इस बात की कोई भी जानकारी नहीं है कि कितनी शिकायतों का निराकरण हो चुका हैं। मनरेगा के कार्यो की जांच एवं भुगतान को लेकर की गई शिकायतों की न तो जांच रिर्पोट लगी हैं और भुगतान पाने वालों के भुगतान मिलने सबंधी को प्रमाणिक दस्तावेज जिसके चलते कई शिकवा - शिकायते तो लगातार होने के बाद भी मनरेगा का भुगतान न तो हो सका हैं और न इन प्रकरणों की जांच हो सकी हैं। जिला प्रशासन द्वारा सीधे तौर पर मनरेगा के कार्यो की शिकवा शिकायतों की जांच सबंधित विभाग या फिर शाखा को भेज दी जाती हैं। उक्त विभाग या शाखा द्वारा जिला प्रशासन को इस बात की कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं भेजी जाती हैं कि शिकायत यदि सहीं हैं उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई हैं। वैसे देखा जाए तो 2 लाख 48 जाबकार्ड धारक है। जिसमें 1 लाख 78 हजार जाबकार्ड धारक परिवारों के एक सदस्य को एक साल में सौ दिन का रोजगार देने के प्रावधान हैं। जिले में जाबकार्ड धारको को हर बार भुगतान को लेकर प्रशासन की ओर से कई पहल की गई लेकिन हर बार शिकवा - शिकायते सुनने को मिली हैं। इस बार बैतूल जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा चलित मोबाइल बैंक की शुरूआज एच डी एफ सी बैंक के माध्यम से की जाने वली हैं। बैतूल जिले में वर्तमान में कुल 80 बैंक है जिनके माध्यम से जाबकार्ड धारको को भुगतान उनके खातों के माध्यम से किया जाता हैं। बैंक के पास वर्कलोड़ की वज़ह से वह मनरेगा के भुगतान कार्यो के प्रति उतनी दिलचस्पी भी नहीं लेती क्योकि बैंको को कोई विशेष लाभ नहीं मिलता हैं। वैसे भी सरकारी बैंको की ऋण देने एवं ब्याज पाने में ज्यादा रूचि रहती हैं। बैतूल जिले में लगातार ग्राम पंचायत स्तर के भ्रष्ट्राचार में कई बार बैंक भी लपेटे में आ चुकी हैं इसलिए बैंको का इस कार्यो के प्रति नकारात्मक रूख रहा हैं। बैंक से भुगतान पाने के लिए गांव से बैंको तक धक्के खाने वाला ग्रामीण आखिर विवश होकर शिकवा - शिकायते करने लगता हैं। जिला पंचायत के मीडिया प्रभारी अनिल गुप्ता के अनुसार बैतूल जिले में सेन्ट्रल बैंक के साथ मोबाइल बैंक की एक योजना शुरू की थी लेकिन बैंक ही पीछे हट गई। अब प्रदेश में अनूपपुर की तरह एटीएम से भुगतान की जगह नगद भुगतान के लिए एच डी एफ सी बैंक से एक अनुबंधन किया जा रहा हैं। बैंक को मोबाइल बैंको के लिए जिला पंचायत वाहन तक उपलब्ध करवाने के लिए तैयार हैं। जिला पंचायत के मीडिया प्रभारी भुगतान एवं कार्यो को लेकर होने वाली शिकायतों पर कार्यवाही होने की बाते तो करते है लेकिन उनके पास आकड़े नहीं हैं। श्री गुप्ता का तो यहां तक कहना हैं कि ग्राम पंचायत स्तर तक के कार्यो में भ्रष्ट्राचार के मामले राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) तक को भेजे गए है लेकिन उनके नाम उन्हे नहीं मालूम हैं। बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो एवं 10 जनपदो में आज तक कोई भी ऐसर रिकार्ड पंजी उपलब्ध नहीं है जिसमें ग्राम पंचायत सबंधी शिकायतों एवं उनके समाधान का जिक्र हो ऐसी स्थिति में बैतूल जिले का ग्राम पंचायती राज अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत पर खरा उतरता हैं।  एक कड़वा सच यह भी हैं कि बैतूल जिले में पदस्थ रहे मुख्यकार्यपालन अधिकारी एवं जिला कलैक्टरों के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में कई प्रकरण चल रहे हैं लेकिन खबर लिखे जाने तक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू)  द्वारा किसी भी बड़ी मछली को अपने फंदे में नहीं फंसाया जा सका है तब छोटी मछली के फंदे बाहर निकले की संभावना तो बरकरार रहेगी। बैतूल जिले के बारे में कहा जाता हैं कि मध्यप्रदेश का कमाऊपूत जिला हैं जहां पर हर कोई अपना देश है बड़ा विशाल लूटो खाओं है बाप का माल के मूल सिद्धांत पर कार्य कर रहा हैं। बैतूल जिले का पंचायती राज कब सार्थक एवं सफल सिद्ध होगा सयह कह पाना अतित के गर्भ में हैं।

Monday, March 14, 2011

Betul Kee Khabar: कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक स...

Betul Kee Khabar: कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक स...: "कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक सामग्री की सप्लाईबैतूल जिले के कपीलधारा कूपो के निमार्ण में उपयोग लाई सामग्री का कोई हिसाब..."

Betul Kee Khabar: कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक स...

Betul Kee Khabar: कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक स...: "कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक सामग्री की सप्लाईबैतूल जिले के कपीलधारा कूपो के निमार्ण में उपयोग लाई सामग्री का कोई हिसाब..."

कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक सामग्री की सप्लाई बैतूल जिले के कपीलधारा कूपो के निमार्ण में उपयोग लाई सामग्री का कोई हिसाब - किताब नहीं...?


कहीं तालीबान या पाकीस्तान ने तो नहीं की विस्फोटक सामग्री की सप्लाई
बैतूल जिले के कपीलधारा कूपो के निमार्ण में उपयोग लाई सामग्री का कोई हिसाब - किताब नहीं...?
बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायते इन दिनों सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी ने जिला पंचायत बैतूल में अफरा - तफरी मचा दी हैं। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री चौहान द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम की अपील   की सुनवाई के दौरान सभी दस जनपदो को मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देश जारी करने के एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी किसी भी जनपद या ग्राम पंचायत द्वारा आवेदक को विस्फोटक सामग्री  की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है। आवेदक को कोई भी पंचायत या सचिव यह जानकारी देने को तैयार नहीं हैं कि उसके द्वारा कपीलधारा कूप योजना के तहत उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री की सप्लाई किस व्यक्ति द्वारा करवाई गई हैं। कई ग्राम पंचायतो के तो यह हाल हैं कि उनके आसपास के सचिवो के परिवार जनो के नाम पर ही बारूद की सप्लाई दर्शा दी गई हैं जबकि उनके पास फटाखा तक का लायसेंस नहीं है। बैतूल जिले के यह हाल हैं कि भीमपुर जनपद की ग्राम पंचायत धामन्या के सचिव बादल सिंह कहते हैं कि उसे तो यह तक नहीं मालूम की बारूद या अन्य विस्फोटक सामग्री कहां से किस हिसाब से आई और उसका भुगतान किया गया। बादल ने यू एफ टी को साक्षात्कार के दौरान बताया कि आसपास की ग्राम पंचातयो में मारूति एवले जो कि ग्राम पंचायत चंादू - रंभा के सचिव रमेश एवले के भाई है। सचिव के भाई के पास तीस से पैत्तीस विस्फोटक मशीने एवं टे्रक्टर एवं ट्राली हैं। बैतूल जिले के करोड़पति सचिवो की गिनती में शुमार रमेश एवले का आसपास की ग्राम पंचायतो में जलवा हैं। रमेश भाऊ के नाम बहुचर्चित इस सचिव के परिवार के किसी भी सदस्य के पास विस्फोटक सामग्री की सप्लाई एवं परिवहन का जिला कलैक्टर कार्यालय द्वारा जारी लायसेंस भी नहीं हैं। इसी तरह बैतूल जिले की तीन जनपदो के ढाई सौ से अधिक ग्राम पंचायतो में गुदगांव खोमई के एक व्यक्ति बब्बू शेखावत द्वारा सप्लाई की गई जिसकी आवक सप्लाई का दस प्रतिशत भी नहीं हैं। बैतूल जिले में वैसे तो तीन बड़े विस्फोटक सामग्री के सप्लायर हैं जिसमें से दो के द्वारा किसी भी ग्राम पंचायत को सीधे तौर पर न तो सप्लाई की गई और न उनके द्वारा कोई भुगतान पाया गया। ऐसे में सवाल यह उठता हैं कि बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो में वित्तीय वर्ष ृ2008 एवं 2009 तथा 2009 एवं 2010 में कपीलधारा के तहत खुदवाये गये कूपो के निमार्ण में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री या तो सागर से लापता हुए सौ ट्रको की है या फिर विदेशी मुल्क पाकीस्तान और उसके मददगार संगठन तालीबान के द्वारा भारत में जगह - जगह पर विस्फोट करने को भेजी गई खेप में से हैं। इस समय बैतूल जिले के कपील धारा के कूपो में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री बारूद , जिलेटीन , डिटोनेटर्स व अन्य सामान आखिर बैतूल जिले में आया कहां से ....? कुछ लोगो का कहना हैं कि खोमई स्थित विस्फोटक सामग्री के संग्रहण गोदाम में समुद्र के रास्ते से मुम्बई ,भुसवाल , बडनेरा , अमरावती , परतवाड़ा होते हुई खोमई पहुंची। इस काम में शामिल गिरोह के द्वारा बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो में से अधिकांश के लिए सप्लाई की गई विस्फोटक सामग्री के बिल पत्रक तथा भुगताप पत्रको की जानकारी तक ग्राम पंचायते उपलब्ध नहीं करवा रही हैं। बैतूल जिले के एक जागरूक पत्रकार द्वारा सूचना के अधिकार नियम के तहत मांगी गई जानकारी न मिलने की स्थिति में जबलपुर उच्च न्यायालय की भी शरण लेगेें। इधर पूरे जिले में बारूर के मामले को लेकर हडकम्प मची हुई हैं। जिले के कुछ भाजपाई सत्तापक्ष का सहारा लेकर बहुचर्चित विस्फोटक सामग्री के सप्लाई बब्बू शेखावत को बचाने में लगे हुए हैं। सबसे अधिक चौकान्ने वाली बात यह हैं कि बैतूल जिले में आवक से दा गुणा अधिक सप्लाई दिखा कर उसका करोड़ो में भुगतान पाने वाले अजगरो के अब जल्द ही पिंजरे में बंद होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बैतूल जिले में बद से बदनाम हो गई कपीलधारा कूप योजना के चलते ही राज्य आर्थिक अपराध अनुवेषण ने बैतूल जिले के पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबू सिंह जामोद के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया हैं। जिसका एक आधार कपीलधारा के कूपो के निमार्ण को लेकर भी बनाया गया हैं। देखना बाकी हैं कि आने वाले समय में बारूद कांड के विस्फोट से कितने आशियाना उजड़ जाएगें।