Saturday, June 18, 2011

नर्मदा - पूर्णा - ताप्ती को सतपुड़ा, महादेव तथा मेकेल पहाड़ों से जोड़ कर अकाल से बचाया जा सकता है

नर्मदा - पूर्णा - ताप्ती को सतपुड़ा, महादेव तथा मेकेल पहाड़ों से
जोड़ कर अकाल से बचाया जा सकता है
 नैसर्गिक धरोहर पर्वतीय क्षेत्र का उपयोग कर नदियों तथा नहरों का जल अन्य प्रांतों तक सफलता से पहुंचाने में कारगर सिद्घ हो सकते हैं. इस प्रकार पर्वतीय कछारों का उपयोग नदियों के जोडऩे हेतु तथा पर्यावरण की रक्षा के साथ वनखेती उत्पाद, पेयजल की भीषण समस्या के अलावा आदिवासी पर्वतीय क्षेत्रों में फलोत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है. वहीं पर वन औषधियों की खेती मुमकीन हो सकती है. जिससे राष्टï्रीय संपत्ति का तेजी से इजाफा किया जा सकता है. जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं को पर्वतीय कछारों का उपयोग कर, नर्मदा, पैनगंगा, कन्हान, वर्धा, पूर्णा, ताप्ती जैसी बड़ी-बड़ी नदियों का जल अथवा जल की धारा पर्वतीय कंधारों के बीच से लायी जा सकती है, जैसे विचार शहर के विधीतज्ञ अॅड. धनंजय धर्माधिकारी द्वारा देशहित में व्यक्त किए गए. धर्माधिकारी के अनुसार भारत वर्ष कृषि प्रधान देश है. विदर्भ प्रदेश का संपूर्ण इलाका पर्वतीय क्षेत्र से घिरा हुआ तथा इस प्रदेश के किसानों का मुख्य व्यवसाय खेती है. विदर्भ के खेती व्यवसाय पर अन्य सभी आर्थिक व्यवहार निर्भर करते है. परंतु दुर्भाग्य की बात है कि विगत चार-पांच वर्षो से नैसर्गिक बदलाव के कारण बारिश ने अपना मुंह इस प्रदेश से मोड़ लिया है. परिणामत: किसानों को पर्याप्त बारिश के अभाव से पुस्तैनी व्यवसाय खेती करना काफी कठिन हो चुका है. खेती का व्यवसाय कुंठित होने के कारण किसानों द्वारा बैंक से लिये गये कर्ज की राशि का भुगतान समय पर होने से तथा ब्याज की राशि भरमसा बढऩे से उनके द्वारा मजबूर होकर आत्महत्याएं की जा रही है. खेती व्यवसाय में जुड़े हुए मजदूरों को मजदूरी न मिलने के कारण इन परिवारों द्वारा रोजी-रोटी की व्यवस्था में अन्यत्र क्षेत्रों में खोज की जाती है. जिसके कारण देहातों से नागरिकों ने अपना मुंह मोड़ लेने के कारण ग्रामों में उदासीनता देखी जा रही है. यही अवस्था भविष्य में बनी रही तो विदर्भ प्रदेश में शीघ्र ही अकालतुल्य स्थिति का अनुभव किया जा सकेगा। ठीक इन्हीं परिस्थितियों से बचने के लिये वर्तमान में शासन के पास कोई भी व्यवस्था नहीं है. परंतु शहर के जागृत तथा प्रतिष्ठिïत नागरिक धर्माधिकारी ने पर्वतीय श्रृंखला का नैसर्गिक रूप में उपयोग कर मध्यप्रदेश की नदियां अथवा उनके मुख्य प्रवाहवाली जलधारा को विदर्भ में लाने से भविष्य में उपस्थित होने वाले अकाल से बचने की पर्यायी व्यवस्था ढूंढ निकाली है. भौगोलिक दृष्टिï से देखा जाए तो विदर्भ प्रदेश यह मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ की तटवर्ती सीमाओं से जुड़ा हुआ प्रदेश है. इसका लगभग बहुत बड़ा हिस्सा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी तथा अजंठा पर्वतीय महादेव पर्वत, मेकेल पर्वत, श्रृंखलाओ से सटे हुए है. इन पर्वतीय श्रृंखलाओं से कई नदियां निरंतर कल-कल करती हुई बहती थी. इन नदियों में जल का अभाव होने से इन नदियों में जल का अभाव होने से इन नदियों को सुखी नदियों का स्वरूप प्राप्त हो रहा है. हालांकि इस पर्वतीय श्रृंखला में संबंधित प्रशासन द्वारा अनेक बांधों का निर्माण कार्य किया गया. लेकिन जल के अभाव में शासन का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया. इसलिए जल की आवश्यकता तथा पर्यावरण की रक्षा को लेकर अॅड. धर्माधिकारी द्वारा अचलपुर तथा विदर्भ के निवासियों की ओर से यह मांग प्रस्तुत की है कि वर्तमान में देश की नदियों को जोडऩे की महत्वकांक्षी योजना के तहत जिस प्रकार केन तथा बेतवां नदियों को प्राथमिक रूप से जोडऩे हेतु योजना का हाल ही में उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश के बीच प्रधानमंत्री मनमोहनसिंग की उपस्थिति में राज्यों के मुख्यमंत्री मुलायमसिंग यादव तथा बाबूलाल गौर  ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री प्रिय रंजन मुंशी के साथ त्रिपक्षीय समझौते के मसूदे को अंतिम रूप दिया है तथा योजनाओं को अमल में लाने हेतु हस्ताक्षर किए. जिससे नदियों को जोडऩे के कार्य को राष्टï्रीय अजेंडे पर लाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई ने इस प्रकार के दो प्रदेशों से बहती नदियों को जोड़ऩे के कार्य की प्रशंसा की है. उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश की नदियों में जिनमें  केन तथा बेतवा का समावेश है.
    इन नदियों के जोडऩे के कार्य में 4263 करोड़ रूपयों की राशि का प्रावधान केन्द्र द्वारा किया गया. इस योजना की साकारता उपरांत 8 लाख 81 हजार हेक्टर कृषि भूमि में सिंचाई का लक्ष्य पूरा किया जा सकेगा. खेती की सिंचाई के साथ-साथ बिजली का उत्पादन 72 मेघा वाट हो सकेगा. उक्त योजना के कार्यवरण में पर्यावरण का संरक्षण ध्यान रखने हेतु प्रधानमंत्री महोदय द्वारा संबंधित समझौते के दौरान सूचनाएं प्रेषिक की गई. इसी तर्ज पर विदर्भ का विकास जरूरी होने से नदियों को जोडऩे की योजना अंतर्गत उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश की नदियों को महादेव पर्वतीय, सतपुड़ा पर्वतीय श्रृंखलाओं के मध्य की दरियों का नैसर्गिक लाभ लिया जा सकता है.  जिससे नदियों को जोडऩे के लिये जिस प्रकार छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश की केन तथा बेतवा नदीयां जोडऩे में जो बड़ी राशि दशाई गई उससे भी काफी कम लागत आ सकती है. इस प्रकार पर्वतीय श्रृंखलाओं में नैसर्गिक रूप से निर्मित दरीयों के बीच से यदि इन राज्यों की नदियों को लाया जाता है तो, उसका निश्चित रूप से लाभ पर्वतीय क्षेत्र के साथ साथ देश के पर्यावरण की सुरक्षा में हो सकता है. जबलपुर मध्यप्रदेश के भेड़ाघाट समीपस्थ नर्मदा नदी का बहाव और सतपुड़ा के बीचोबीच देश के पूर्व से पश्चिम की ओर है. विंध्याचल पर्वत श्रृंखला से होता हुआ सतपुड़ा पर्वतीय श्रृंखला तक यह बहाव महादेव पर्वत के मध्य से होकर नैसर्गिक ढलान के कछार से मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़  प्रांतीय सीमाओं से गुजरता हुआ नर्मदा का जल जबलपुर-शिवणी-रामटेक-कन्हान-नागपुर-काटोल-नरखेड़-वरूड-सालबर्डी, अंबाड़ा-घाटलाड़की-शिरजगांव-बहीरम-मुक्तागिरी-घटांग-अंबापार्टी-पोपटखेड़ा-बालापुर-शेगांव-खामगांव-बुलढाणा-अजिंठा इस प्रकार की सतपुड़ा पर्वतीय श्रृंखलाओं से भौगोलिक सरलताओं से नहरों के रूप में लाया जा सकता है. अॅड. धर्माधिकारी ने दी जानकारी के अनुसार इस विषय में मा. शरदचंद्रजी पंवार केन्द्रीय कृषि मंत्रालय दिल्ली को उक्त निवेदन सौंपा है. परंतु अत्यंत महत्वपूर्ण, किसानों के हितवाले, पर्यावरण की सुरक्षा वाले, पेयजल की समस्या का निराकरण करने वाले तथा बिजली उत्पादन में सक्रिय होने वाले इस प्रकार की सतपुड़ा पर्वतीय श्रृंखला का नैसर्गिक लाभवाली योजना के विषय को लेकर नेशनल एजेंडे पर  अब तक लाया नहीं गया. उनके द्वारा उक्त योजना को अंजाम देने हेतु विदर्भ की जनता के साथ तुंरत चर्चा करने की आवश्यकता व्यक्त कर दी गई. साथ ही यह भी चिंता व्यक्त की गई कि राजकीय पक्षों द्वारा विदर्भ के विकासवाली तथा नैसर्गिक पर्वतीय रचना का उपयोग लेकर किसानों का हितवाली, पर्यावरण रक्षक योजना का मसुदा, अब तक सरकार की स्वीकृति के लिये रखा नही गया. सतपुड़ा पर्वतीय श्रृंखलाओं का उपयोग कर मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी के एक प्रवाह का पानी नहरों के माध्यम से विदर्भ प्रदेश की हरितक्रांति के लिये उपयोगी हो सकती है. जिससे जागतिक पर्यावरण का समतोल रखने में, पर्वतीय क्षेत्रों में वनऔषिधयों की वनखेती का विकास, आदिवासी नागरिकों को आरोग्य प्रदान करने में महत्वपूर्ण तथा उनके आर्थिक विकास में सहयोगी, वनखेती की गुणवत्ता जागतिक स्तर पर बरकरार रखने में सार्थ तथा आयात-निर्यात में सक्रियता प्रदान करने वाली के साथ घनदार, पर्वतीय क्षेत्रों में पानी के प्रवाह के साथ अन्य की भरपूर व्यवस्था प्रदान कर वन्यप्राणियों की नैसर्गिक रूप में उत्पत्ति हो सकेगी. जिससे उपरोक्त सभी क्षेत्रों का विकास होकर राष्टï्रीय संपत्ति में इजाफा होगा. विदर्भ के किसानों के साथ सभी नागरिकों द्वारा फिर से हरितक्रांति का निश्चित रूप से अनुभव किया जा सकेगा



नदी और नारी के मान - सम्मान का पाखण्ड क्यों...?
अर्चना का दोहरा चरित्र सबसे बड़ी शर्मसार घटना
 रामकिशोर पंवार
मध्यप्रदेश की भगवा सरकार के राज्य में सबसे ज्यादा नारी की अस्मत पर लूटेरो ने डाका डाला है। आज प्रदेश में नारी और नदी दोनो ही मैली हो रही है। बात चाहे नर्मदा की हो या फिर ताप्ती की दोनो को मैला करने में प्रदेश की भाजपा सरकार के बीते काल और वर्ततान तथा भविष्य तीनो जवाबदेह है। आज प्रदेश में न तो नदी को मान - सम्मान मिला है और न नारी को ऐसे में नदी और नारी के मान - स्ममान की बात बेमानी है। जिस नर्मदा मैया को भोपाल लाने के लिए करोड़ो रूपैया पानी की तरह बहाया गया लेकिन जब वह थक हार कर अपने जैत के बेटे शिवराज की कोठी के पास पहुंची तो बेटे के पास इतना वक्त नहीं कि वह अपनी नर्मदा मैया की आरती उतार सके। कुछ इसी तरह की कहानी ताप्ती के मान - सम्मान से जुड़ी हुई है। अपने आप को ताप्ती मैया की अन्यय भक्त कहने वाली अर्चना चिटनीस को इस बात का कतई अफसोस नहीं हुआ कि उसकी कर्मभूमि कहलाने वाले बुराहनपुर की जीवन रेखा कहलाने वाली जीवन दायनी मां ताप्ती मैया का उसकी प्रदेश सरकार के प्रदेश गान में नाम तक नहीं है। पद एवं सत्ता के भूखे लोगो को सिर्फ अपना स्वार्थ नजर आता है यह तो सुना था लेकिन एक नारी होकर अपनी ही तरह पूज्यनीय नदी के मान - सम्मान के प्रति वह इतनी कैसे गुंगी और बहरी हो गई कि वह विधानसभा या किसी भी सार्वजनिक मंच पर खुल कर अपनी सरकार के खिलाफ आवाज तक नहीं उठा सकी। नारी का जीवन नदी की तरह होता है लेकिन यदि नदी और नारी ही एक दुसरे के दर्द को यदि समझ नहीं सके तो आखिर कौन समझेगा इस दर्द और पीड़ा को जिससे पूरा समाज आज असंमजस्य की स्थिति में है। ताप्ती विकास प्राधिकरण को लेकर सक्रिय अर्चना चिटनीस भले ही राज्य की केबिनेट मंत्री और उच्च शिक्षा विभाग की जवाबदेही संभाल रही है लेकिन उसकी अपनी भी तो कोई जवाबदेही है खास कर उन लोगो के प्रति जो ताप्ती को देवी के समान सदियो से पूजते चले आ रहे है। पद और सत्ता के स्वार्थ में महाभारत हो चुकी है लेकिन किसी नारी के चलते सड़को पर राजनैतिक या सामाजिक या धार्मिक महाभारत का शंख्नांद हो ऐसा कोई नहीं चाहता लेकिन जब ताप्ती विकास प्राधिकरण की चिंता सता रही है तो ताप्ती के मान - सम्मान के लिए चिता पर तो आज नहीं तो लि चलना तो होगा क्योकि कोई भी पिता या पुत्र अपने परिवार की महिला सदस्य के अपमान को बर्दास्त नहीं कर सकेगा। अर्चना चिटनीस भले ही प्रदेश सरकार की उच्च शिक्षा मंत्री हो लेकिन उनका ताप्ती के प्रति अज्ञान अलग ही झलकता दिखाई देता है। जिस बैतूल जिले से जन्मी सूर्यपुत्री मां ताप्ती एवं चन्द्रपुत्री पूर्णा के जन्म स्थान एवं क्षेत्र को छोड़ कर बुराहनपुर , भुसावल को मिला कर ताप्ती विकास प्राधिकरण की नींव रखने की कोशिस की जा रही है वह ताप्ती मैया की एक बाढ़ में बह जाएगी। मैडम को यह कभी नही भूलना चाहिए कि बैतूल से निकली ताप्ती को जब भी अपने मान - सममान के प्रति ठेस पहुंची है तो उसने बुराहनपुर , भुसावल और सूरत का क्या हाल किया है। ताप्ती को इस बात का कतई अहसास न कराया जाए कि वह सूर्य की पुत्री और शनि की बहन है वरणा हमारा क्या हम तो मां के बेटे है हमारी मां हमारा तो कुछ नहीं पर उन लोगो का हाल का बेहाल कर देगी जो ताप्ती को दुधारू गाय समझ कर उसका दुग्धपान कर रहे है। मां के आंचल से निकलने वाले दुध पर सबसे पहला हक उस संतान का होता है जो उसकी कोख से जन्म लेती है। बैतूल ने मां ताप्ती की कोख से जन्म लिया है , यदि ताप्ती विकास प्राधिकरण में बैतूल की तथा प्रदेश गान में ताप्ती की उपेक्षा की गई तो आने वाले दिनो में ताप्ती के उग्र रूप से भी बचने का अभी से बंदोबस्त कर लेना चाहिए। जब बच्चा रोता है तो मां का दिल पसीजने लगता है कहीं ऐसा न हो कि ताप्ती का दिल पसीज कर बाढ़ , अकाल , आपदा और भयानक त्रासदी की शक्ल ले ले। अर्चना चिटनीस प्रदेश की सम्मानीय मंत्री है ऐसे में उनकी केबिनेट की एक भूल को उन्हे सुधारने का प्रयास करना चाहिए ताकि उनका दोहरा चरित्र सामने न आ सके। एक तरफ पूरे बुराहनपुर के साथ ताप्ती मैया की महाआरती में भाग लेने वाली मंत्री महोदया को चाहिए कि वह ताप्ती को प्रदेश गान में मान और सम्मान दिलवाये और सरकार से इस भूल के लिए ताप्ती मैया से माफी मांगे वरणा आगे क्या होगा यह तो न्याय के देवता भगवान शनिदेव की चाल ही तय करेगी। हम दावा नही करते कि हम बैतूल  जिले के लोग बहुंत बड़े ताप्ती भक्त है लेकिन अब हमे भी धीरे - धीरे अक्ल आने लगी है कि सगी और सौतेली मां में क्या फर्क है। अब हम क्यों गंगा को पूजे जब हमारे पास आदिगंगा मां ताप्ती का पुण्य प्रताप हमारे साथ है। प्रदेश की सरकार को नारद की भूमिका निभाने की जरूरत नहीं है क्योकि गंगा के चक्कर में नारद ने भ्री ताप्ती जी के महात्म को कम करने के लिए ताप्ती पुराण चुराने का प्रयास किया था। नारद को बारह साल लगे थे कोढ़ से मुक्ति पाने एवं नारद टेकड़ी पर मां ताप्ती को मनाने के लिए जप और तप करने में ऐसे में प्रदेश की सरकार को ताप्ती के महात्म को कम करने के लिए पता नहीं अबकी बार सत्ता से मुक्त होने के बाद वापस लौटने में कितने बरस लग जाएगें। मध्यप्रदेश की उच्च शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस अब अपने परिजनो की आड़ में बैतूल जिले की रेत से नदियो के सहारे जिले की राजनीति में प्रवेश पाने जा रही है ऐसे में उन्हे चाहिए कि रेत से राजनीति करने के चक्कर में कहीं रेत का ऐसा पर्वत न बना दे कि एक आंधी पूरे पर्वत को ही बवडंर में बदल कर उसके नस्ते नाबुद कर दे। आज बैतूल जिले में हर ताप्ती भक्त चाहता है कि ताप्ती जन्मोउत्सव के पहले सरकार अपनी भूल को सुधारे और स्वंय मंत्री महोदया इस कार्य में एक तटस्थ भुमिका निभा कर बैतूल - बुराहनपुर  की जीवन रेखा कही जाने वाली पुण्य सलिला मां ताप्ती को वह मान सम्मान दिलाए जिसके डर के आगे गंगा को भी धरती पर आने में झिझके होने लगी थी। अंत में नदी और नारी को समर्पित इस लेख के माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि जो भरा नही है भाव से जिसमें बहती नहीं रसधार है , वह हद्रय नही पत्थर है जिसमें स्वदेश के प्रति प्यार नही है 



अर्चना चिटनीस को ताप्ती मां से माफी मांगने के बाद स्तीफा दे देना चाहिए
बेटी होकर भी अपनी ताप्ती मैया को प्रदेश गान में मान - सम्मान - स्थान नही दिला सकी
भोपाल ,बुराहनपुर ,बैतूल, यूफटी न्यूज स्पेशल रिर्पोट
हमारे देश में ऐसी कई मां है जिनके बेटे न होने पर बेटी ने बेटे का धर्म निभाया है। ग्राम रोंढ़ा की गंगा बाई को उसकी बेटियो ने ताप्ती में अंतिम संस्कार दिला कर उसकी मुक्ति का रास्ता बनाया। देवना स्वंय गंगा को तारने के लिए यदि ताप्ती आ सकती है तो प्रदेश सरकार की केबिनेट मंत्री श्रीमति अर्चना चिटनीस को प्रदेश गान में ताप्ती का नाम शामिल न होने पर तत्काल प्रदेश सरकार के मंत्री पद से स्तीफा देकर ताप्ती मैया से प्रदेश सरकार की भूल के लिए माफी मांगनी चाहिए थी। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ क्योकि बुराहनपुर की बेटी और बहू ने अपनी मर्यादा का ध्यान नहीं रखा। जिस ताप्ती मैया की आरती उतारने वह बुराहनपुर के ताप्ती घाट पर जाती रही है उस ताप्ती मैया का प्रदेश गान में नाम न शामिल होकर डाकुओ की शरण स्थली बअनी चम्बल का नाम शामिल हो गया इस बात पर ही अफसोस जताते हुए अपनी सरकार से स्तीफा दे देना चाहिए था। पद एवं सत्ता की भूख अच्छे - अच्छे का दिमाग विचलीत कर देती है ऐसे में ताप्ती विकास प्राधिकरण की लाल बत्ती की चाह ने ताप्ती के मान - सम्मान की राह को शायद अर्चना चिटनीस के लिए कठीन बना दिया हो..... बैतूल का चिटनीस परिवार से काफी पुराना रिश्ता रहा है। आज भले ही बुरहानपुर में एतिहासिक चिटनीस लाल बंगला न हो पर बैतूल में चिटनीस परिवार की कई पीढिय़ो ने अपना बचपन और यौवन गुजारा है। बात चाहे लीला की हो या अर्चना की दोनो ही अदाकार है। एक फिल्मी पर्दे की दुसरी राजनीति के उठापटक वाले नौटंकी बाज टीवी सीरियल की ऐसे में हर कोई व्यक्ति अपेक्षा करता है कि उसकी अदाकारा का ऐसा कार्य हो कि लोग उसे बरसो याद करे। सूरत की उर्वशी उपाध्याय को बैतूल रिर्टन होना पड़ा क्योकि उसका मिलन बैतूल के किशोर सरले से होना था। ऐसे में हम यह क्यों भूल गए कि हमें सूरत तक 750 किलोमीटर बहने वाली ताप्ती मैया का मान - सम्मान - स्थान को सर्वोच्च शिखर पर ले जाना है। प्रदेश सरकार की उच्च शिक्षा मंत्री को एक परिवारिक शादी में आना था इसलिए मंत्री जी ने आनन - फानन में स्कूल चले अभियान का सरकारी कार्यक्रम बना डाला। नीजी कार्यक्रम को सरकारी कार्यक्रम का रूप देने वाली प्रदेश की उच्च शिक्षा मंत्री को चाहिए कि वह सबसे पहले आगे आकर ताप्ती को प्रदेश गान में शामिल करवाने की मुहिम का बैतूल की पावन माटी से शंखनाद करे ताकि लोगो को पता चल सके कि नदी और नारी जब उग्र रूप लेती है तब प्रलय कैसे आता है। मां ताप्ती जागृति जैसा अंपीकृत संगठन अपने प्रयासो से ताप्ती से लोगो को जोडऩे में लगा है ऐसे में यदि स्वंय अर्चना चिटनीय जैसी दबंग केबिनेट मंत्री इस मुहिम का हिस्सा बन जाती है तो सोने में सुहागा हो सकता है। मंत्री महोदया को चाहिए कि वे बुरहानपुर एवं बैतूल की आस्था एवं श्रद्धा की प्रतिक पुण्य सलिला मां ताप्ती को वह मान सम्मान दिलवाने में अहम भूमिका निभाए।

टे्रेन से कटकर मां-बेटे की मौत
बैतूल, (रामकिशोर पंवार):  सोनाघाटी रेलवे गेटे के पास बीते गुरूवार की शाम ट्रेन से कटकर मां-बेटे की मौत हो गई। यह हादसा है या आत्महत्या इसका खुलासा नहीं हो पाया है। मां-बेटे के बारे जानकारी नहीं लग पाई है। सिटी और जीआरपी पुलिस दोनों ही मौके पर पहुंच गई थी। क्षेत्र के विवाद को लेकर लगभग तीन घंटे शव मौके पर ही पड़ा रहा। संघमित्रा एक्सप्रेस से शाम साढ़े चार बजे के लगभग एक महिला और लगभग एक वर्ष के बच्चे की सोनाघाटी गेट के पास टे्रन से कटकर मौत हो गई। दोनों के मां-बेटे होने का अनुमान है। घटना के संबंध में यह पुष्ठ नहीं हो पाया कि महिला ने अपने बच्चे के साथ आत्महत्या की है या फिर हादसा हुआ है। गेट मैन की सूचना पर सिटी पुलिस और जीआरपी पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। मां-बेटे के बारे जानकारी नहीं लग पाई है। जीआरपी पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। घटना की जानकारी मिलते ही कोतवाली और जीआरपी पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। पहुंचने के बाद भी पुलिस ने कार्रवाई शुरू नहीं की। दोनों ही पुलिस क्षेत्र को लेकर बहस करती रही। जिसके चलते तीन घंटे शव मौके पर ही पड़े रहे। बाद में जीआरपी पुलिस ने कार्रवाई करके प्रकरण दर्ज कर लिया है।

अपहरण कर सामूहिक दुराचार
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): बैतूल जिले में आदिवासी बालाओं का दैहिक शोषण रूकने का नाम नहीं ले रहा है। अब तो दुराचार के मामले भी दिन - प्रतिदिन बढऩे लगे है। जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पाठई निवासी नाबालिग युवती का भरी दोपहर अपहरण कर उसके साथ सामूहिक रूप से दुराचार करने का मामला सामने आया है। डरी - सहमी युवती ने अपने परिजनो के साथ दूसरे दिन थाना जाकर इस विभित्स शर्मसार कर देने वाली घटना की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाई। पुलिस ने फिलहाल आरोपियों पर मामला दर्ज कर मामले को तूल पकडऩे से पूर्व ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। एसडीओपी सारणी अभिषेक ने बताया कि ग्राम पाठई निवासी 16 वर्षीय आदिवासी युवती बाजार करके अपने घर लौट रही थी। पीछे से ही टाटा सूमो से आ रहे गांव के दीपक और राजू ने उसे घर छोड़ देने का कहकर बैठा लिया। दोनों युवती को घुमाते रहे। बाद में रात नौ बजे के लगभग पाढर के तरफ एक गांव में युवती से दुराचार करने के बाद उसे छोड़ दिया। युवती रात भर गांव में ही एक महिला के घर पर रही। सुबह महिला ने उसे पाठई पहुंचाया। युवती के परिजनों ने इसकी रिपोर्ट शाहपुर थाने में दर्ज कराई है। पुलिस ने दोनों आरोपियों पर मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी टाटा सूमो से इटारसी की ओर भाग रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिस ने दोनों को दबोच लिया। वैसे भी पूरे प्रदेश में दुराचार के मामले में बैतूल जिला अव्वल नम्बर पर है। जिले में दुराचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। पुलिस इसके पीछे उन आदिवासी बालाओं को ही जवाबदेह मानती है। पुलिस का कहना है कि अधिकांश मामले साप्ताहिक बाजारो के दिन होते है जिस युवतियां पश्चिमी चकाचौंध के चक्कर में बन ठन कर जाती है और ऐसे में दुरचार की घटनाएं जन्म लेती है।



दो साल पुराना गेहू
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): गरीबी का मजाक तो हर कोई उड़ता है अब तो सरकार भी गरीगी का मजाक उड़ाने लगी है। आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले राशन में गरीबों के हिस्से में दो साल पुराना गेहूं ही आ रहा है। समर्थन मूल्य पर खरीदा गया गेहूं बंद कैपों में कृषि उपज मंडी प्रांगण में रखा हुआ है। जिला खाद्य अधिकारी राजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा फिलहाल गोदामों में स्टोर कर रखा वर्ष 2008-09 का गेहूं भी उपलब्ध कराया जा रहा है। यह गेहूं खत्म हो जाएगा इसके बाद ही कैप में मौजूद नए गेहूं का वितरण समितियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नए गेहूं का वितरण होने में थोड़ा समय लगेगा। फिलहाल उपभोक्ताओं को पुराने गेहूं से ही काम चलाना पड़ेगा जबकि हजारो टन गेहूं रिमझिम बारीश में सड़ चुका है।




बैतूल बना चीटरो का अडड़ा , बीडी कम्पनी की ठगी
कई लोगो की बीड़ी और जिगर दोनो को जला गई कंपनी
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में इन दिनो भोले - भाले ग्रामिणो को ना - ना प्रकार की स्क्रीम बता कर उनके दिलो - दिमाग में लोभ लालच का बीज अंकुरीत करके उन्हे ठगने का काम जोरो पर चल रहा है। जिले में इस समय चिटफंड और फर्जी कंपनियों के खिलाफ लोगो के स्वर उभरने लगे है। अब ठगी के शिकार बने लोग खुल कर अपनी आपबीती सुनाने को आगे आने लगे है। अपने साथ न्याय के लिए प्रशासन के दरवाजे पर दस्तक देने वाले ठगी के शिकार बने लोगो की रामकथा कुछ कम चौकान्ने वाली नहीं है। जिला कलैक्टर कार्यालय तक करीब एक दर्जन लोगों ने पूना की एक बीडी कम्पनी द्वारा की गई ठगी को लेकर कलैक्टर की अनुउपस्थिति में एसडीएम संजीव श्रीवास्तव से मुलाकात कर उन्हे अपना दुखड़ा बताया। एसडीएम ने जल्द ही इस तरह की कम्पनियों के कर्ताधर्ताओं को पकडऩे का आश्वासन दिया है। एसडीएम से मिलने आए महादेव बारस्कर ने बताया कि आठ अक्टूबर 2000 को इस कम्पनी ने बैतूल में अपना कामकाज शुरू किया था। इसमें एजेंटों के माध्यम से छह हजार 600 रूपए जमा कराने पर एक विभिन्न वस्तुओं का किट देने और 21 माह बाद 21 हजार रूपए देने की योजना बताई थी। इसमें उन्होंने चार आई कार्ड लिए थे। इस तरह से उन्होंने 28 हजार रूपए जमा किए थे लेकिन उन्हें आज तक कुछ भी नहीं मिला है। यह राशि उन्होंने करीब तीन साल पहले जमा कराई थी। उनका आरोप है कि शुरूआती दौर में कुछ लोगों को योजना के अनुसार फायदा भी दिया गया,लेकिन बाद में कम्पनी लोगों का पैसा लेकर फरार हो गई और अपना यहां का स्थानीय दफ्तर भी बंद कर दिया। इस कम्पनी के बैतूल के मुख्य एजेंट मोहम्मद रउफ का कहना है कि चेन सिस्टम के आधार पर यह कम्पनी काम करती थी और उसका भी पैसा डूबा है। उन दोनों व्यक्तियों का कहना था कि की मुहिम के बाद उन्हें यह उम्मीद जागी है कि इस तरह की कम्पनियों पर अब प्रशासन कार्रवाई करने के लिए आगे आएगा। बीडी कम्पनी की शिकायत इन लोगों द्वारा अभी की गई है। पूरे मामले में पड़ताल के बाद कम्पनी के कर्ताधर्ताओं तक पहुंचने के लिए पुलिस की भी मदद ली जाएगी। चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जन आक्रोष के बाद जिले के अन्य लोगों मे भी ऐसी कंपनियो के मकडज़ाल से बचने के प्रति जागरूकता आ रही है और ठगी का शिकार लोग सामने आकर इन कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए प्रशासन पर दबाव भी बन रहा हैं। पुलिस और प्रशासन को भी ऐसे मामले रोज सामने आने पर अब कुंभकरणी नींद से जाग कर कार्रवाई करने को विवश होना पड़ रहा है। जिले में ठग कंपनियों का जाल अब जागरूकता और प्रशासन की कार्रवाई के बाद तार-तार होता हुआ नजर आ रहा है और उनमें हड़कंप की स्थिति देखी जा रही है। ठगी के बाद बंद होने वाली कंपनियों के स्थानीय एजेंट और सूत्र पहली बार सामने आए हैं। जय बाबा सैय्यद कमाल खान जनकल्याण समिति भोपाल के एजेंट के रूप में काम करने वाले सुनील सोनी, विनोद टिकाने, मनोज तुमराम, संतोष गवाड़े आदि ने एसपी को आवेदन देकर यह स्वीकार किया था कि वे एजेंट के रूप में काम करते थे और ठगी के शिकार वे भी बने हैं। इसी तरह बीडी गु्रप पूना के मुख्य स्थानीय कर्ताधर्ता रउफ मोहम्मद ने भी ठगी के शिकार लोगों के साथ एसडीएम के पास पहुंचकर बीडी गु्रप के कारनामों की जानकारी दी थी और कार्रवाई की मांग की थी। कभी रूपए दूने करने के नाम पर तो कभी लॉटरी से जमीन के प्लाट देने के आश्वासनों से हर शहर- कस्बे में कई फर्जी कंपनियां लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ा रही हैं। यह कंपनियां इन्वेस्ट करने वाली बैंकिंग, ऑनलाइन सर्वे और माइक्रो फाइनेंस के नाम पर भी उन इलाकों में अपना नेटवर्क स्थापित कर रही हैं, जहां साक्षरता कम है। इस वजह से इन कंपनियों की लूट के शिकार लोग सामाजिक लिहाज के कारण खुलकर सामने नहीं आ पाते, जिससे धोखाधड़ी करने वालों का हौसला और भी बढ़ जाता है। भोले-भाले लोगों से हो रही इस धोखाधड़ी के खिलाफ चल रही मुहिम में जिला और पुलिस प्रशासन भी पूरा सहयोग कर रहा है, मगर ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ता की गैर मौजूदगी ठोस कार्रवाई न होने का सबसे बड़ा कारण है। ठगी का शिकार निवेशक इस उम्मीद में भी शिकायत करने से बच रहा है कि कहीं कानूनी कार्रवाई में उसका पूरा पैसा ही न डूब जाए। चटफंड कंपनियों को लेकर मीडिया द्वारा जो मुहिम शुरू की गई है वह वास्तव में सराहनीय है। इस मुहिम का सबसे अच्छा इंपेक्ट यह आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी एसी कंपनियों को लेकर लोगों में जागरूकता आ रही है और भविष्य में लोग ऐसी कंपनियों के जाल में फंसने से बचेंगे। ठगी के का शिकार होने के बाद तो हम लोग निराश होकर बैठ गए थे लेकिन मीडिया ने मुहिम शुरू की तो हमें भी एक उम्मीद जागी कि अब निश्चित ही ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई होगी और लोगों में जागरूकता आएगी। इसलिए हम लोगों ने ज्ञापन दिया था। प्रशासन की ओर से श्ह तर्क दिया जा रहा है कि ऐसी कंपनियों के खिलाफ पहले ही पुलिस को भी ठोस कदम उठाना चाहिए। जिले में बैंकिंग से संबंधित कामकाज करने वाली किसी भी तरह की कंपनियां या व्यक्ति की जानकारी प्रशासन के संज्ञान में हो यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था बनाई जाएगी और जो पहले गड़बड़ कर चुकी है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।



अपहरण कर किया सामूहिक दुराचार
आमला बैतूल, (रामकिशोर पंवार) बीती रात भोपाल जा रही एक दलित महिला का बस स्टैंड से अपहरण कर चार युवकों द्वारा सामूहिक दुराचार किए जाने का मामला सामने आया है। मामले में शिकायत होने पर पुलिस ने चारों युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना को लेकर बताया गया कि बोरदेही थाने के ग्राम चिखलार निवासी एक दलित महिला पति के साथ भोपाल जा रही थी। जो बस का इंतजार करते हुए आमला बस स्टैंड पर बैठी हुई थी। इसी दौरान रात बारह बजे चार युवक ऑटो में सवार होकर बस स्टैंड पहुंचे और महिला से छेड़छाड़ करने लगे। महिला के साथ मौजूद पति द्वारा इसका प्रतिरोध किए जाने पर चारों युवकों ने उसकी जमकर पिटाई की और महिला को जबरन ऑटो में बैठाल कर रमली डैम पर ले गए। जहां चारों युवकों ने महिला के साथ दुराचार किया। महिला के पति द्वारा आमला थाने में शिकायत दर्ज कराने पर आमला पुलिस ने चारों युवक नरेंद्र गोहे निवासी आमला, असलम खान रेलवे कॉलोनी, गोलू सारणी और अजय बैराती आमला को दुराचार केे मामले में गिरफ्तार कर लिया है।


बेच दिए किसानों के ट्रांसफार्मर
बैतूल, (रामकिशोर पंवार)किसानों को अनुदान पर दिए जाने वाले ट्रांसफार्मर अन्य लोगों को बेच दिए गए और अनुदान की राशि अधिकारियों ने ही हड़प कर ली। दो दिन की जांच के बाद विजिलेंस अधिकारी भोपाल लौट गए हैं। उनका कहना है कि रिकार्ड सत्यापन के बाद वे जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए सौंप देंगे। मामले की जांच के लिए गुरूवार को बैतूल पहुंचे विजिलेंस अधिकारी डीपी अहिरवार, जीके भरदिया ने बताया कि किसानों को अनुदान पर दिए जाने वाले तीनों ट्रांसफार्मरों का अन्यंत्र लगाया जाना सत्यापित हो चुका है। इसमें एक ट्रांसफार्मर खेड़ीसांवलीगढ़ रोड पर, एक ट्रांसफार्मर विकासनगर में और एक ट्रांसफार्मर बैतूल बाजार में लगाया गया है। बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा बैतूल टॉउन में भी मीटर शिफ्टिंग मामले में गोलमाल जांच में साबित हो गया है। इसके अलावा 58 लाख रूपए की बिल में छूट का मामला भी सामने आया है। 




बैतूल जिले की प्रमुख नदियां हो चुकी है प्रदुषित
माचना, देनवा, तवा , सापना
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): बैतूल जिले की प्रमुख सभी नदियां या तो सारनी की राख से प्रदुषित हो चुकी है या फिर शहर की गंदगी से प्रदुषित हो चुकी है। कई नदियां से पानी के बहाव के समाप्त हो जाने के बाद नाले की शक्ल में परिवर्तित हो चुकी है। माचना और सापना दोनो ही नदियो का जिला मुख्यालय पर मिलन तो होता है लेकिन दोनो ही नदिया पूरी तरह से प्रदुषित हो चुकी है। इसी कड़ी में हाल ही में राज्य प्रदुषण बोर्ड एवं एक एनजीओ की मदद से भौंरा और छुरी में सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी, 4 नदियों के सैंपल की जांच के बाद सनसनी खेज तथ्य उजागर हुआ है। जिले की चार प्रमुख नदियों से लिए गए वाटर सैंपल की जांच डिस्ट्रिक्ट वाटर टेस्टिंग लेबोरटी ने की। तवा नदी के तीन सैंपल सबसे अधिक प्रदूषित मिले। इनमें भौंरा, छुरी और सिलपटी से लिया गया सैंपल शामिल है। भौंरा में प्रदूषण की मात्रा 24 सौ पीपीएम तो छुरी में 16 सौ पीपीएम मिली। देनवा, मोरंड और माचना प्रदूषण से फिलहाल कोसो दूर है। तवा में प्रदूषण का कारण सारनी थर्मल पॉवर प्लांट से निकली राख को माना जा रहा है। तवा नदी के प्रदूषित पानी की वजह से तट पर रहने वाले लोगों की परेशानियां बढऩे लगी है वहीं अब सभी तरफ से तवा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की मांग समय - समय पर गिरगिट की तरह रंग बदलते राजनीतिक दल सहित स्वंयसेवी संगठन करते है ताकि प्रदुषण के नाम पर उनके एनजीओ या संगठन को कुछ रूपैया - पैसा मिल सके। अकसर आम की मांग पर प्रशासन कुंभकरणी निंद्रा में सोया रहता है। राख से प्रदुषित नदियो के संरक्षण के लिए देनवा बचाओ समिति द्वारा चलाया गया अभियान ठंडे में पड़ गया जिसके पीछे संगठन को किसी प्रकार की मदद या सहयोग का न मिलना बताया गया। बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण्स समिति के बैनर तले चले देनवा नदी बचाओ अभियान की उस समय कमर टूट गई जब सतपुडा ताप बिजली घर ने इस बात से इंकार कर दिया कि सतपुड़ाचंल से निकलने वाली नदियो में पावर हाऊस की राख मिलती ही नही है उसे राखड़ डेम में संग्रहित कर दिया जाता है। इससे पहले भी नदियो में पानी में घुल की राख आती थी, लेकिन उसकी मात्रा बहुत कम होती थी। सारनी। सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट में हर दिन 20 से 22 हजार टन कोयले की जरूरत होती है। इतना कोयला जलने के बाद प्लांट 8 से 10 हजार टन राख छोड़ता है। यह राख पानी में घोलकर पाइप लाइन के जरिए राख डेम तक पहुंचाई जाती है। जबकि राख डेम से नालों के जरिए छोड़े जाने वाला पानी भी राखयुक्त होता है। जो आगे जाकर तवा जैसी बड़ी नदियों में मिल रहा है। सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट से निकलने वाली राख को करीब एक हजार एकड़ में बने राखड़ बांध में इक_ा किया जाता है। प्लांट से राख पानी के जरिए पाइप लाइनों से डेम तक पहुंचाई जाती है। बाद में राखड़ डेम के करीब 30 फीसदी पानी को रिसाइकल कर वापस सतपुड़ा डेम तक लाया जाता है, जबकि करीब इससे अधिक मात्रा में पानी चार बीयर और तीन साफ्ट यानी सात गेटों से नालों में छोड़ा जाता है। करीब 35 सौ टन प्रति घंटा पानी नालों में छोड़ा जा रहा है। इस पानी में राख की मात्रा भी खासी होती है। कई नालों से होते हुए पानी देनवा नदी में मिलता है। बाद में देनवा का पानी तवा नदी में मिल जाता है। पानी में राख का अंदाजा देनवा नदी के दूधिया से राख युक्त पानी को देखकर लगाया जा सकता है, जबकि नालों में भी बड़ी मात्रा में राख देखी जा सकती है। सारनी से निकलने वाला पानी करीब 15 घंटे में इटारसी के पास स्थित तवा बांध तक पहुंच जाता है, हालांकि राख डेम से पानी बहाने की स्थिति बारिश में अधिक होती है। बारिश के दिनों में राख के घोल के अलावा बारिश का पानी भी डेम में होता है। डेम की स्थिति को देखते हुए पानी बहाना जरूरी हो जाता है। इधर बैतूल जिला मुख्यालय पर नदियो खास कर माचना और सापना के प्रदुषण के पीछे पूरे नगर की गंदगी है जो कि नदियो के माध्यम से बहा दी जाती है। दोनो नदियो का पानी पीने लायक नहीं है उसके बाद भी पूरे शहर को पानी पिलाया जाता है। एक तरफ सरकार नदियो को पुर्न:जीवित करने के लिए जलाभिषेक की योजना चला रही है वही दुसरी ओर नदियो में शहर की गंदगी को बहाने का सिलसिला जारी है।


शर्म कर शिवराज तेरी नाक के नीचे
मारी जा रही है लाड़ली लक्ष्मियां
भोपाल - बैतूल , यूएफटी न्यूज: लाड़ली लक्ष्मी योजना को प्रोत्साहन देने वाले जगत मामू शिवराज की नाक के नीचे प्रतिदिन दर्जनो लड़कियां जन्म लेने से पूर्व ही काल के गाल में समा जाती है। यह सिलसिला भोपाल से लेकर बैतूल तक जारी है क्योकि रोकने या टोकने वाला स्वंय अपने जमीर को बेच चुका है। प्रदेश की राजधानी में एक साल में करीब चार हजार बच्चों की किलकारियां जन्म से पहले ही मां की कोख में दफन कर दी गई। मामू को लगता होगा कि उनकी सरकार को बदनाम करने की यह कहीं कांग्रेसी चाल तो नहीं है लेकिन यह कड़वा सच राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की हाल ही में जारी की गई एक सनसनी खेज रिपोर्ट में उजागर हुआ। कितनी शर्मसार बात है कि हजारो लड़कियो को उनकी मां की कोख में दफन कर देने वाली डाक्टरो ने स्वंय को बचाने के लिए उक्त शर्मसार पाप को पुण्य करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। सरकारी बचाव पक्ष के अनुसार डॉक्टरों ने ऐसा गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाने के लिए किया है। भोपाल के सीएमएचओ डॉ.पंकज शुक्ला के अनुसार शहर में कई सोनोग्राफी सेंटर्स में भ्रूण लिंग परीक्षण और कई अस्पतालों में अवैध रूप से एबॉर्शन किए जाने से इंकार नहीं किया जा सकता। जून माह के पहले सप्ताह में जारी इस रिपोर्ट के अनुसार भोपाल में साल भर में 3839 महिलाओं को एबॉर्शन हुए हैं, जो अन्य जिलों में हुए एबॉर्शन की संख्या से कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी में 3839 महिलाओं के एबॉर्शन गुणसूत्र,आनुवांशिक, लिंग संबंधी और जन्मजात विकृति के कारण हुए हैं, जबकि 2209 महिलाओं का तथाकथित गर्भपात स्वत: ही हो गया। यह आंकड़ा धार 2698, जबलपुर 1886, इंदौर 1567 और सागर में हुए एबॉर्शन 1238 से कहीं ज्यादा है। राजधानी के सोनोग्राफी सेंटर्स में भ्रूण लिंग परीक्षण और अस्पतालों में अवैध तरीके से एबॉर्शन किया जा रहा है, मैं इससे इनकार नहीं कर सकता। ऐसा करने वालों को पकडऩे के लिए जुलाई में विशेष अभियान चलाऊंगा। चोरी छिपे भ्रूण लिंग परीक्षण और एबॉर्शन करने वाले सरकार को कोई जानकारी नहीं देते। महिलाएं एबॉर्शन कई कारणों से कराती हैं, जिनमें एक कारण सोनोग्राफी सेंटर्स पर चोरी छिपे भ्रूण लिंग परीक्षण होना हो सकता है? इसके लिए रिपोर्ट का रिव्यू कराएंगे। अगर रिव्यू रिपोर्ट में ऐसा कुछ पाया गया तो हम संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। पूरे मामले पर स्वास्थ आयुक्त मध्यप्रदेश शासन जेएन कंसोटिया का कहना भी कम शर्मनाक नहीं है। अपने मुख्यमंत्री की लाड़ली लक्ष्मियों को की कोख में संगीन हत्या के मामले पर वे कहते है कि भोपाल में 2209 महिलाओं का तथाकथित स्वत:गर्भपात हो गया। भ्रूूण हत्या के मामले में कानून कहता है कि ऐसा करने वाले आरोपी को सात साल तक का काठोर कारावास का प्रावधान है। एमटीपी एक्ट 1971 के तहत गैर मान्यता प्राप्त संस्था में एबॉर्शन का मामला पकड़े जाने पर संस्था के मालिक और डॉक्टर को 2 से 7 साल की कैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा प्रसव पूर्व भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले डॉक्टर को 3 से 5 साल के कारावास अथवा 10 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने से दंडित किया जाता है। दोनों ही एक्ट के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सीएमएचओ की है। सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि भोपाल में भ्रूण लिंग परीक्षण के छह मामले पकड़े गए हैं। उन्होंने बताया कि भ्रूण लिंग परीक्षण के लिए डॉ. निर्मला जायसवाल पर कोर्ट ने 2 हजार रुपए का जुर्माना और एक साल की सजा से दंडित किया है। इसके अलावा भोपाल मेडिकल सेंटर के खिलाफ कोर्ट में पांच भ्रूण लिंग परीक्षण के मामले चल रहे हैं, जिनमें सुनवाई जारी है। राज्य शासन द्वारा तथाकथित गर्भवती महिला की जीवन रक्षा, शारीरिक अथवा मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर क्षति को दूर करने के लिए। गर्भ में पल रहे बच्चे के विकलांग अथवा किसी बीमारी से पीडि़त होने का खतरा होने पर उसे भ्रूण हत्या करने की अनुमति प्रदान करता है। सेवानिवृत संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एनआर भंडारी के मुताबिक सोनोग्राफी सेंटर्स का निरीक्षण सप्ताह में एक बार होना चाहिए। इसके लिए प्रत्येक जिले में चार डॉक्टरों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाए, तभी एबार्शन और भ्रूण लिंग परीक्षण को रोका जा सकेगा। सेवानिवृत्त संचालक स्वास्थ्य सेवा डॉ. एमके जोशी कहते है कि प्रदेश की राजधानी भोपाल के अधिकांश सोनोग्राफी सेंटर्स में चोरी छिपे भ्रूण लिंग परीक्षण का काम किया जा रहा है। सरकार एमटीपी एक्ट के तहत आने वाले मामलों की निगरानी करे, तो एबार्शन की यह संख्या घटाई जा सकती है। श्री जोशी ने बताया कि एबार्शन की संख्या तभी बढ़ती है जब गर्भवती महिला और उसके परिजनों को गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग के बारे में जानकारी हो। उन्होंने बताया कि सरकार इस ग्राफ को घटाने के लिए सोनोग्राफी सेंटर्स की निगरानी बढ़ाए। शहर एबार्शन भोपाल 6,048 , बैतूल में 4,685 धार 2,698 इंदौर 1,567 जबलपुर 1,886ग्वालियर 1,157  रीवा 558 आंकड़े राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की जून 2011 में जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार 2005 7.25 लाख 2006 7.21 लाख 2007 6.82 लाख 2008 6.41 लाख(फैमिली वेलफेयर स्टेटिसटिक्स इन इंडिया के 2009 के आंकड़े) है। वर्तमान समय में भोपाल में हैं 285 सोनोग्राफी मशीनें संचालित है। बैतूल जैसे छोटे से जिले में इस समय पचास से अधिक सोनोग्राफी मशीने चल रही है। बैतूल में अधिकारिक तौर पर मात्र दो या तीन को अनुमति प्राप्त है। राजधानी के सोनोग्राफी सेंटर्स में चोरी छिपे भ्रूण लिंग परीक्षण का काम किया जा रहा है। सरकार एमटीपी एक्ट के तहत आने वाले मामलों की निगरानी करे, तो एबार्शन की यह संख्या घटाई जा सकती है।  एबार्शन की संख्या तभी बढ़ती है जब गर्भवती महिला और उसके परिजनों को गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग के बारे में जानकारी हो। उन्होंने बताया कि सरकार इस ग्राफ को घटाने के लिए सोनोग्राफी सेंटर्स की निगरानी बढ़ाए।





एलएलबी के सोलह छात्र हो गए फेल

बैतूल, (रामकिशोर पंवार): जेएच कॉलेज एलएलबी प्रथम सेमेस्टर के छात्रों ने महावद्यिालय प्रबंधन पर एग्रीगेट की परीक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया है। छात्रों को परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र नहीं दिए गए। एलएलबी प्रथम सेमेस्टर के 16 छात्र एग्रीगेट के पेपर में में फेल हो गए हैं। छात्रों ने दोबारा पेपर कराने के लिए कॉलेज में ही बीते मंगलवार दोपहर प्रदर्शन कर प्राचार्य को ज्ञापन दिया। जेएच कॉलेज एलएलबी द्वितीय वर्ष के छात्र वसीम अली, यशवंत सोनारे, आरती धुर्वे, अलकेश वाघमारे आदि ने बताया कि एलएलबी प्रथम सेमेस्टर के छात्रों को पास होने के बाद भी 400 में 191 नम्बर लेना जरूरी होता है। कम नम्बर आने पर छात्रों को एग्रीगेट की परीक्षा देनी पड़ती है। एलएलबी द्वितीय वर्ष के छात्रों ने प्रथम सेमेस्टर में कम अंक मिलने से एग्रीगेट की परीक्षा के लिए फार्म जमा किए थे। इसकी लिए बकायदा फीस भी जमा की गई। परीक्षा के लिए कॉलेज प्रबंधन के पास बकायदा प्रवेश पत्र भी प्राप्त हो गए थे, फिर भी मांगने पर छात्रों को प्रवेश पत्र नहीं दिए गए। प्रवेश पत्र नहीं मिलने से 16 विद्यार्थी परीक्षा नहीं दे पाए। छात्रों का आरोप है कि कुछ छात्रों ने जबरन ही प्रवेश पत्र ले लिए। छात्रों ने बताया कि तीन दिन पहले एग्रीगेट का रिजल्ट आया है,जिसमें 16 छात्र को फेल कर दिया गया है। जबरन प्रवेश पत्र लेकर परीक्षा देने वाले पांच छात्र पास हो गए। फेल होने से छात्रों का भविष्य अधर में है। छात्र तृतीय और चतुर्थ सेमेस्टर तो पास हो गए,लेकिन प्रथम सेमेस्टर में बीच में ही अटक गए हैं। छात्रों की समस्या को देखते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला आंदोलन प्रभारी सनी राठौर, विकास प्रधान आदि के नेतृत्व में छात्रों ने दोबारा पेपर करवाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ एस लव्हाले को ज्ञापन भी दिया गया।


14 हजार किसानों को नहीं मिला बोनस
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): समर्थन मूल्य की गेहूं खरीदी बंद हुए  पूरा एक पखवाड़ा बीत चुका है , लेकिन अभी तक जिले के साढ़े चौदह हजार किसानों के खातों में केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला पचास रूपए का अतिरिक्त बोनस नहीं पहुंचा है पूरे मामले में खरीदी करने वाली नोडल एजेंसी और सहकारी बैंक एक दूसरे पर दोषारोपण कर रही है। वहीं किसान बोनस न मिलने से नाराज हैं 15 मार्च से 31 मई तक जिले में कुल 61 हजार 200 मीट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। प्रदेश सरकार के 100 रूपए बोनस सहित समर्थन मूल्य पर इस गेहूं का कुल मूल्य करीब 77 करोड़ रूपए है। नौ मई के आदेशानुसार किसानों को 50 रूपए अतिरिक्त बोनस दिया जाना था। इसकी राशि साढ़े तीन करोड़ रूपए है। समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए विपणन संघ को नोडल एजेंसी बनाया गया था और खरीदी की जिम्मेदारी सोसाइटियों को दी गई थी। 50 रूपए का अतिरिक्त बोनस किसानों के खाते में न पहुंचने को लेकर नोडल एजेंसी विपणन संघ कहती है कि दो किश्तों में यह राशि केंद्रीय सहकारी बैंक को दे दी गई है। बैंक कहता है कि हमें यह बताकर राशि नहीं दी गई कि यह 50 रूपए की अतिरिक्त बोनस राशि है। नौ मई को आदेश मिलने के बाद ही हमारे द्वारा 12 मई और 20 मई को बैंक को 50 रूपए बोनस के लिए राशि दे दी गई थी। अब उन्होंने क्यों नहीं खातों में डाली यह बैंक ही बता सकता है। कुल 77 करोड़ रूपए की गेहूं खरीदी हुई है। इसमें संघ ने 68 करोड़ रूपए ही हमें अभी तक दिए हैं। जिस राशि कि वे बात कर रहे हैं वह यह कहकर नहीं दी कि बोनस की राशि है।



प्रशिक्षण लेने आई शिक्षिका गायब
मुलताई , बैतूल, (रामकिशोर पंवार):प्रभात-पट्टन स्थित डाइट में प्रशिक्षण लेने आई एक आदिवासी शिक्षिका आठ दिन से लापता है। उसके पति ने मुलताई थाने में पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई है। ग्राम टेकाबन सीताखेड़ी थाना चिचोली निवासी छदामीलाल धुर्वे ने थाने में बुधवार को गुमशुदगी दर्ज करवाई है कि उसकी पत्नी सुरूचि धुर्वे चिचोली ब्लाक के ग्राम ऊंचागोहान स्कूल की प्राइमरी शाला में शिक्षिका है। वे प्रभात-पट्टन स्थित डाइट में सात जून को सुबह 10 बजे प्रशिक्षण के लिए सुरूचि को छोड़कर आए थे। इसके बाद उसने उसकी पत्नी का डाइट में भी पता लगाया, लेकिन वह प्रभात-पट्टन डाइट में भी नहीं थी और घर भी नहीं पहुंची है। दूसरी ओर छदामीलाल धुर्वे ने ऊंचा गोहान गांव के ही कुछ लोगों पर पत्नी के अपहरण का संदेह भी व्यक्त किया है। इस मामले में पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कुछ लोगो का कहना है कि मामला प्रेम प्रसंग का भी हो सकता है लेकिन जब तक आरोपी पकड़ा नहीं जाते कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।


डीजीपी से की शिकायत
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के स्कूली किताबो में पढ़े जाने वाले तथाकथित सतपुड़ा के घन जंगलो में वन माफिया द्वारा लगवाए गए बहुचर्चित बंकरकांड के मुख्य आरोपी अफजल ने यह कह कर सनसनी पैदा कर दी कि मैं अकेला गुनाहगार नहीं हूं , मेरे साथ और भी लोग है खासकर वन विभाग के कई नामचीन आला-अफसर भी है। अफजल ने डीजीपी मध्यप्रदेश पुलिस को भेजे शिकायती पत्र में आरोप लगाया है साथ यह भी प्रमाण प्रस्तुत किया है कि वह जिनके नाम बता रहा है उनके मोबाइल कम्पनियों की साइट से पूरी डिटेल निकाली जा सकती है। हालाकि अफजल को इस बात की भी आशंका है कि आरोपी की पहुंच ऊपर तक होने के कारण वे कंपनियो की साइट को हैक कर कॉल डिटेल निकालने के बाद उसे नष्ट कर चुके है। अफजल ने पूरे मामले की लिखित शपथ पत्र युक्त शिकायत डीजीपी को भेजने की जानकारी दी है। बंकर कांड के इस बहुचर्चित आरोपी ने इस मामले में साइबर क्राइम में मामला दर्ज करने की मांग की है।

हत्या के आरोपी गिरफ्तार ,
लेकिन चेन स्नेचिंग के आरोपी फरार
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): वेस्टर्न कोल फिल्ड लिमीटेड की पाथाखेड़ा स्थित शोभापुर कालोनी में बीते 12 जून को कोयला कामगार रमेश खातरकर की बेरहमी से हत्या के मामले में बैतूल कोतवाली पुलिस ने दो युवकों को हिरासत में लिया है। बैतूल थाना पुलिस के अनुसार इन युवकों ने हत्या करना कबूल कर लिया है। पूरे मामले को लेकर कोयला श्रमिक संगठन ने काफी शोर गुल मचाया था। बैतूल पुलिस के अनुसार हत्या के उक्त दोनो आरोपी को बीते बुधवार पुलिस बैतूल निवासी शेख फरीद को स्थायी वारंट के आधार पर पकड़ा गया था। वहीं उसके साथ शोभापुर निवासी राजा खान भी था। दोनों को पुलिस पकड़कर लाई तो पूछताछ के दौरान उन्होंने शोभापुर कालोनी निवासी रमेश खातरकर की हत्या करना कबूल कर लिया है। पुलिस के अनुसार हत्या का कारण अवैध संबंधों को लेकर कोई विवाद था। टीआई ने बताया कि दोनों आरोपियों को सारनी पुलिस को सौंप दिया जाएगा। हत्या के आरोपी गिरफ्तार इधर बैतूल पुलिस को एक सफलता हाथ लगी तो दुसरी ओर पुलिस की नाक कटने से भी नही बच पाई। बैतूल थाना क्षेत्र की गंज पुलिस चौकी के सामने चेन स्नेचिंग का एक मामला प्रकाश में आया है। बताया जाता है कि गंज क्षेत्र में पुलिस चौकी के सामने ही बदमाश महिला से चेन झपटकर ले गए। सिविल लाइन निवासी चंदा पति नारायण रघुवंशी खरीदारी करने गंज क्षेत्र में गई थी। सुबह वे अशोक अग्रवाल की दुकान के सामने खड़ी थी तभी बाइक पर सवार दो अज्ञात बदमाश उनके पास आए और उनके गले पर झपट्टा मारकर चेन खींचकर ले गए। इसी दौरान चंदा ने एक युवक की कालर पकड़ ली लेकिन वह युवक कालर छुड़ाने में सफल रहा और दोनों भाग खड़े हुए। बाद में उन्होंने गंज चौकी में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस के अनुसार चेन 20 ग्राम की थी, जिसकी कीमत लगभग 40 हजार रूपए बताई गई है।


पूणम की रात में दिखाई दी काली अमावस्या
सूर्य एवं चन्द्र पुत्री ताप्ती पूर्णा में लगा आस्था का मेला
नई दिल्ली /भोपाल / बैतूल / यूएफटी न्यूज: बीती रात को हुए सदी के आखरी पूर्ण चन्द्रग्रहण का बैतूल के बादलो ने लोगो को आनंद नहीं उठाने दिया। लोग रातभर जागते रहे लेकिन सिर्फ टीवी के सामने ताकि चन्द्र ग्रहण का पूरा आनंद उठा सके। पूणम की रात को ऐसा लग रहा था कि आज काली अमावस्या की रात है। लुकाछिपी के खेल के बीच पूरे सौ घंटे चांद लोगो की नजरो से दूर रहा। हालाकि बैतूल में इस सदी के आखरी सबसे बड़े पूर्ण चन्द्रग्रहण को देखने की कोई व्यवस्था नहीं थी इसके बाद भी लोगो ने अपने आंगन एवं छतो पर खड़े रह कर चांद को देखा। जिले में चन्द्रग्रहण के समाप्त होते ही सुबह से चन्द्रपुत्री पुण्य सलिला मां पूर्णा एवं जीवन दायनी मां ताप्ती के तट पर आस्था एवं श्रद्धा का विशाल मेला लगा हुआ था। गुरूवार होने की वजह से आज पूरे दिन लबालब बह रही ताप्ती एवं पूर्णा में लोगो ने आस्था की डुबकी लगाई। पड़ौसी महाराष्ट्र से सबसे अधिक पूर्णा भक्त एवं ताप्ती भक्तो का मेला आया हुआ था। ताप्ती के मुलताई तालाब से लेकर पूरे जिले में ढाई सौ किलोमीटर की मां ताप्ती की बैतूल जिले की सीमा क्षेत्र की लम्बी यात्रा के दौरान दोनो तटो पर लोगो ने अपने कुल देव , पितृ देव सहित पूजन सामग्री एवं पूजा स्थल को ताप्ती एवं पूर्णा के जल से पवित्र कर उजाल पाक किया। सबसे ज्यादा आदिवासी भगत भुमकाओं का आस्था मेला देखने लायक था। हालाकि लोग मध्यरात्री के बाद से ही नदियो के तटो पर जमा होकर पूजन - कीर्तन करने लग गए थे। पूरे दिन भर दोनो सूर्य एवं चन्द्र पुत्रियों के पावन जल में लोगो की डुबकी लगाने का सिलसिला जारी था। पूरे प्रदेश , पड़ौसी राज्यो एवं देश की राजधानी में लोगो ने चन्द्रग्रहण के नजारे का दर्शन लाभ लिया। बीती रात को छत्तिसगढ़ के रायपुर झकाझक सफेद चमक बिखरेने वाला चंद्रमा बुधवार आधी रात बाद अलग ही रंग का नजर आया। चांद भूरे लाल रंग का दिखा क्योंकि पृथ्वी की छाया ने उसे पूरी तरह ढक रखा था। बुधवार को पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ। सदी के सबसे लंबे व गहरे चंद्रग्रहण के गवाह भारत समेत दुनिया के कई देश बने। इस खगोलीय नजारे को लेकर दुनिया भर में उत्सुकता थी, लिहाजा देर रात लोग घरों की छतों पर टंगे नजर आए। हालांकि, देश के कई भागों में बादलों के कारण इस अद्भुत नजारे को देखा नहीं जा सका। भूरे लाल रंग का होने के कारण चांद की चमक उतनी नहीं थी, जितनी आम दिनों में होती है। पूर्ण चंद्रग्रहण रात 12.52 बजे शुरू हुआ, जो 100 मिनट चला। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के वासी बुधवार की रात खग्रास चंद्रग्रहण नहीं देख सके। देर शाम छाए घने बादलों की वजह से ?सा हुआ। लोग आधी रात के बाद तक चंद्रग्रहण के दीदार को इंतजार करते रहे कि कब बदली छंटे और ?तिहासिक चंद्रग्रहण का नजारा देखें। लेकिन रात एक बजे तक लोगों को यह मौका नहीं मिल सका। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ग्रहण का स्पर्श अर्घरात्रि 11.52 मिनट पर हुआ, वहीं मोक्ष मध्यरात्रि 3.32 बजे हुआ। ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटा 40 मिनट थी, लेकिन घने बादल छाए रहने के कारण राजधानी में ग्रहण दिखाई नहीं दिया। दो सूर्यग्रहण एक जुलाई तथा 25 नवंबर को लगेंगे। वर्ष का दूसरा और अंतिम चन्द्रग्रहण 10 दिसंबर को लगेगा। इस प्रकार पिछले एक पखवाडे में दो ग्रहण और एक जून से एक जुलाई तक के एक महीने में लगातार तीन ग्रहण लग रहे है। यह चंद्रग्रहण अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी तथा मध्य एशिया, अफ्रीका एवं यूरोपीय देशों में दिखाई देगा। चीन और नेपाल सहित भारत से सटे सभी देश इसका लुफ्त उठा सकेंगे। पूर्णिमा तथा अमावस्या को सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा पर होते हैं। पूर्णिमा को चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है जिससे उसकी परछाई चन्द्रमा में पडऩे से चन्द्रग्रहण लगता है। जबकि अमावस्या को सूर्य तथा पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा होने से चन्द्रमा की छाया सूर्य पर पड़ती है जिसे सूर्यग्रहण कहा जाता है। सामान्यत: वर्ष में तीन-चार से ज्यादा ग्रहण नहीं लगते।

विभागों ने निर्धारित किए अपने लक्ष्य
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): कलैक्टर बी चंद्रशेखर के निर्देश के बाद सभी विभागों ने विकास कार्यो के लिए पांच लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इन लक्ष्यों की पूर्ति एक साल में की जानी है। इसमें खाद्य विभाग की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों की दो महीने में एक बार शत प्रतिशत जांच करना, उपभोक्ता संरक्षण वाले मामले में एनजीओ से संपर्क कर सार्थक पहल करना, लंबित प्रकरणों का समय-सीमा में निराकरण एवं फूड कूपन योजना को समय सीमा में पूरा करना शामिल है। राजीव गांधी शिक्षा मिशन द्वारा स्कूल चले हम अभियान के तहत अधिक से अधिक बच्चों के प्रवेश व स्कूलों में शौचालय और पेयजल सुविधाओं को सुनिश्चित करने सहित पुस्तकों और साइकिलों का शतप्रतिशत वितरण करने का लक्ष्य निर्घारित किया है। अधूरे पड़े निर्माण कार्यो को पूरा करने का भी लक्ष्य रखा गया है। इधर आदिम जाति कल्याण विभाग ने हॉस्टलों की दशा सुधारने के साथ-साथ आदिवासी क्षेत्रों की शालाओं की बेहतरी के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी तरह अन्य विभागों ने भी कलेक्टर के आदेशानुसार अपने एक साल का लक्ष्य निर्धारित किया है। लक्ष्य को लेकर विभाग प्रमुखों का कहना है कि इससे उनके सामने साल भर प्राथमिकता के आधार पर काम करने का दृष्टिकोण स्पष्ट रहता है।


कांग्रेसी नगरपालिकाओं एवं नगरपंचायतो
को भाजपाई जनप्रतिनिधि दिखा रहे है ठेंगा
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): कांग्रेस और भाजपा की आठवी और बारहवी के किस्से तो आपने अकसर सुने होगें लेकिन दोनो की इस प्रतिष्ठा की लड़ाई ने जिले के शहरी विकास की कमर तोड़ कर रख दी है। जिले के नगरीय विकास के दावे करने वाले सांसद-विधायकों द्वारा ही नगरों की उपेक्षा की जा रही है। जनप्रतिनिधियों की नगरीय विकास के लिए गंभीरता इसी बात से समझ आती है कि जिले की कांग्रेसी नगर परिषदो एवं नगर पंचायतो की बैठक में विशेष आमंत्रित होने के बाद भी वे कभी शामिल नहीं होते। बैतूल सहित अन्य नगरीय क्षेत्र की नगरपालिका एवं नगर पंचायतो में वर्तमान परिषद एवं पंचायतो की लगभग एक दर्जन बैठकें हो चुकी हैं लेकिन एक बैठक में भी सांसद-विधायक की उपस्थिति नहीं हुई, जबकि दोनों जिला मुख्यालय के नगर पालिका क्षेत्र में निवास करते हैं। नगरीय निकाय की परिषद की जब भी बैठक होती है तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायक और संसदीय क्षेत्र के सांसद को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में आमंत्रण दिया जाता है। इससे कि ये दोनों जनप्रतिनिधि भी नगरीय क्षेत्र के विकास के लिए होने वाली चर्चाओं और प्रस्तावों में अपना योगदान दे सकें। साथ ही परिषद के सुझाव के अनुरूप वे सांसद या विधायक निधि से आर्थिक सहयोग भी संबंधित नगरपालिका को प्रदान कर सकें। इन सब से इन्होंने मुंह मोड़ रखा है। बैतूल सहित अन्य नगरपालिकाओ एवं नगर पंचायतो में भाजपाई सांसद एवं विधायको द्वारा अपना प्रतिनिधि भी नियुक्त करना मुनासिब नहीं समझा गया। बैतूल के विधायक ने हाल ही में पूर्व पार्षद संजू सोलंकी को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है, जो पहली बार पिछली बैठक में विधायक प्रतिनिधि के रूप में मौजूद थे। स्वयं उपस्थित न रहने या फिर अपना प्रतिनिधि न रखने के कारण यह जनप्रतिनिधि शहर विकास के होने वाले कामों या इनमें आने वाली इन परेशानियों से ही अवगत नहीं हो पाते। बैतूल जिले में सारनी, मुलताई, बैतूल एवं आमला नगर पालिकाएं हैं जबकि बैतूल बाजार, भैंसदेही, आठनेर, चिचोली नगर पंचायत क्षेत्र हैं। इसमें से सारणी, आठनेर और चिचोली में परिषद न होने के कारण प्रशासक कामकाज देखते हैं। मुलताई, बैतूल, बैतूल बाजार, भैंसदेही एवं आमला में परिषद की बैठकों में कभी सांसद या संबंधित विधायकों ने उपस्थिति मुनासिब नहीं समझा। पालिका एवं पंचायतो द्वारा इस बारे में बताया गया कि उनके द्वारा तो हर बार सांसद एवं विधायक को नियमानुसार आमंत्रण भेजा जाता है। वे नपा परिषद की बैठक में शामिल होंगे तो निश्चित रूप से शहर के विकास को फायदा मिलेगा और इससे परिषद का भी उत्साह बढ़ेगा। चूंकि अधिकांश नगरीय निकाय में वर्तमान में कांग्रेस की परिषद है और सांसद-विधायक भाजपा के हंै। इसलिए वे इन बैठकों को लेकर दलगत भावना के कारण दूरी बनाकर रखते हंै और अपनी निधि से भी विशेष सहयोग नहीं देते। दरअसल मसला यह है कि नगरीय निकाय को यह जनप्रतिनिधि हेय दृष्टि से देखते हैं और उन्हें पार्षद जैसे छोटे से जनप्रतिनिधि के साथ बैठना अपनी गरिमा के अनुरूप नहीं लगता। इसलिए वे परिषद की बैठकों से दूरी बनाकर चलते हैं। यही कारण है कि जिला मुख्यालय सहित अन्य नगरीय क्षेत्र की परिषद एवं पंचायतो की बैठक में सांसद-विधायक नहीं आते।




एक रूपए के 85 पैसे के गायब होने की कहानी का सच
भ्रष्ट्राचार का जलाशय बनी राजीव गांधी जलग्रहण मिशन योजना
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी पूरी दुनिया के एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री रहे है जिन्होने भ्रष्ट्राचार को स्वीकार करते हुए कहा कि उनके द्वारा भेजा गया एक रूपैया भी पूरी तरह गांव तक नहीं पहुंच पाता है। राजीव गांधी के शब्दो में ''हम एक रूपैया केन्द्र से भेजते है लेकिन गांव तक पहुंचते - पहुंचते वह एक रूपैया 15 पैसे हो जाता है........। रास्ते में 85 पैसे के गायब होने की बाते कहने के बाद स्वर्गीय राजीव गांधी और उनकी सरकार की जमकर आलोचना हुई लेकिन सच किसी से छुप नहीं सका। आज हमारे बीच भले स्वर्गीय राजीव गांधी हमारे बीच नहीं है लेकिन अब उस 85 पैसे के गायब होने की परत दर परत खुलने लगी है। स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम से संचालित जल ग्रहण मिशन के एक सनसनी खेज खुलासे ने पूरे मामले की पोल खोल कर रख दी। बैतूल जिले के दुरस्थ ग्रामीण क्षेत्रो में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब इस महत्वाकांक्षी योजना के भविष्य पर ही ग्रहण लग गया है। एक तरफ सरकार जलसंवर्धन के जरिए धरती के जल भंडारों को भरने के लिए करोड़ो रूपया खर्च कर रही है वही दुसरी ओर भ्रष्ट अधिकारियों के चलते जनहितैषी योजनाएं अपनी मंजिल तक पहुंचने के पहले ही दम तोड़ रही है। देश - प्रदेश - जिला - गांव तक पहुंचे भ्रष्ट अधिकारियों के नेटवर्क के चलते ऐसी महत्वाकांक्षी योजनाओं लिए आए रूपयों ने भोपाल - दिल्ली - मुम्बई की आलिशान कोठियो का रूप ले लिया है। बैतूल जिले के बहुचर्चित ताजे मामले में आठनेर ब्लाक के राजीव गांधी जलग्रहण मिशन के लिए स्वीकृत सरकारी राशी को मिशन के ही एक भ्रष्ट अधिकारी ने राजीव गांधी मिशन की समितियों के पदाधिकारियों की साठगांठ से निकाल कर पूरा माल हजम कर लेने का नया कीर्तिमान स्थापित करने का प्रयास किया। अशिक्ष्ाित आदिवासियों को राजीव गांधी मिशन की समितियों का पदाधिकारी बनवा कर उनसे कोरे चैक लेकर मिशन के लिए जारी राशी का फर्जीनामो से भुगतान करने की एक नई मिसाल कायम की है। पंचायत स्तर तक पहुंचे तथाकथित भ्रष्टाचार कम शिष्टाचार की एक नई कहानी लिखने वाले अधिकारियों को पूरा मामला उजागर हो जाने के बाद भी जरा सा भी डर नहीं है क्योकि भुगतान जारी करने वाली इकाई वह स्वंय न होकर समिति है। पूरे मामले पर जब इस अधिकारी से पूछा गया तो उसने चतुराई से पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ते हुए पूरा दोषारोपण राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन की समितियों पर थोप कर पूरे मामले की जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तक करने की बात कह डाली। भ्रष्ट्राचार के मामले में सर से लेकर पंाव तक लिप्त अधिकारी ने अपने बचाव में ऐसे तर्क प्रस्तुत किए कि सुनने वाला उसकी पीठ थपथपाने से स्वंय को नहीं रोक पाया। कोरे चेक के मामले में पहले तो अधिकारी द्वारा यह कहा गया कि भगवान महावीर का सिद्धांत है कि  ''जीयो और जीने दो..... , जिसका अधिकारी का अर्थ यह था कि  ''खाओ और खाने दो ...... जब बात नहीं जमी तो अधिकारी अपनी पर आ गया और उसने कहा कि  ''हमने आपके द्वारा दिखाये गए सभी कोरे चैक केन्सिल करवा दिए है........ÓÓ  इन पंक्तियो के लिखे जाने तक पूरे मामले की हकीकत कुछ और ही बयां करती है। इस मामले की यदि पूरी तरह निष्पक्ष जांच हुई तो पूरे जिले में बड़े वित्तीय घोटालों का पर्दाफाश हो सकता है। राजीव गांधी जलग्रहण मिशन में अनिमितताएं एवं भ्रष्टाचार की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। पूरे मिशन की ऐसी सनसनी खेज खबरंे अकसर पिछले एक दशक से सुर्खियों में छपती रही। बैतूल जिले की बैतूल , भैसदेही , मुलताई तहसील की सीमा क्षेत्र के आठनेर जनपद क्षेत्र में भाजपा शासन काल में भ्रष्टाचार रूपी महापुराण का एक पर्व है। वैसे लोगो को यह सबसे बड़ा मामला लगता है लेकिन भाजपा और सरकार से जुड़े लोग इसे रूटीन कार्य मानते है। कांग्रेस की चुप्पी भी कम चौकान्ने वाली नहीं है क्योकि अधिकारियों का कांग्रेस एवं भाजपा के नेताओं तथा जनप्रतिनिधियों से अच्छा तालमेल बना हुआ रहता है। आठनेर जनपद की बोरपानी एवं गोंहदा की समितियों से राजीव गांधी जलग्रहण मिशन के परियोजना अधिकारी द्वारा बैंक के कोरे चैकों पर हस्ताक्षर लेकर अपनी मनमर्जी से रूपया निकालने का सनसनी खेज मामला सामने आया है। मिली जानकारी के अनुसार आठनेर जनपद में राजीव गांधी जलग्रहण मिशन के अंतर्गत एक दर्जन से अधिक ग्रामों में जल संवर्धन एवं संरक्षण के कार्य पिछले कई वर्षों से चल रहे है। इसी कड़ी में ग्राम गोंहदा एवं बोरपानी में भी 12 वें बेच के काम चल रहे है। इसमें निर्माण कार्यों के भुगतान की एक परम्परागत शासकीय प्रक्रिया होती है। जिसे यहां पदस्थ अधिकारी द्वारा नजर अंदाज करते हुए अपनी मर्जी से राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के अध्यक्ष एवं सचिव तथा सरपंच के कोरे चैकों पर हस्ताक्षर ले लिये जाते है तथा बाद में यहां पदस्थ परियोजना अधिकारी अपनी मनमर्जी से राशि भरकर आहरण कर लेता है। नतीजा यह है कि उक्त ग्रामों के अध्यक्ष एवं सचिव तथा समिति के सदस्यों को आज तक यह नहीं मालूम कि उनके ग्रामों में जल ग्रहण मिशन के कार्यों पर कितना खर्च हुआ है और कितनी राशि शेष है। ऐसी स्थिति में 12 वें बेच के अंतर्गत आठनेर जनपद के जितने भी ग्रामों में कार्य हुए है। उनकी स्थिति उक्त ग्रामों के अनुसार ही है। जिन-जिन ग्रामों में राजीव गांधी जलग्रहण मिशन के अंतर्गत 12 वें बेच के तहत काम हुए है सभी जगह से उक्त परियोजना अधिकारी द्वारा कोरे चैकों पर ही हस्ताक्षर लिये गये है। किसी भी ग्राम के अध्यक्ष एवं सचिव को अब तक यह नहीं मालूम की हमारे गांव में कितना पैसा स्वीकृत हुआ था और आज तक कितना खर्च हुआ है। राजीव गांधी जलग्रहण मिशन के अंतर्गत जिन ग्रामों का चयन हुआ है। वहां पर शासकीय प्रक्रिया के अनुसार जलग्रहण प्रबंधन समिति को पैसा खर्च करने का पूरा अधिकारी मिला हुआ है सभी ग्रामों में एक समिति बनी हुई है जिसमें अध्यक्ष एवं सचिव के पास में सभी अभिलेख जिसमें चैक बुक, पास बुक से लेकर प्रत्येक कामों की छोटी सी लेकर बड़ी जानकारी अध्यक्ष, सचिव से लेकर समिति के पास रहनी चाहिए। आठनेर जनपद में हो ऐसा रहा है कि अभिलेख से लेकर पास बुक और चैक बुक यह सभी महत्पूर्ण दस्तावेज परियोजना अधिकारी एवं एपीओ अपने पास रखते है और अपनी सुविधा अनुसार चैक काटते है। जिस पर संबंधित सचिव, अध्यक्ष एवं सरपंच के हस्ताक्षर ले लेते है और अपनी मनमर्जी से राशि भरकर आहरण कर लेते है। सूत्रों के अनुसार आठनेर ब्लाक में पदस्थ पीओ अपने तबादले के लिए जोड़-तोड़ करने में लगे हुए है, ताकि उनके द्वारा की गई अनियमितताओं से वो बच सकें। बैतूल के नवागत कलैक्टर बी चन्द्रशेखर ने पूरे मामले के बारे में कहा कि यदि इस प्रकार बिना राशि भरे हुए चैक लिए गए है तो यह गलत है। इस पूरे मामले की जांच कर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कार्य के लिए शासकीय योजनाओं में बिना राशि भरे चैक लेना अति गंभीर अनियमितता है। मुझे जो चैक दिखाए गए है इस पर परियोजना अधिकारी द्वारा राशि नहीं भरी गई है न ही दिनांक लिखा गया है ऐसा मामला पूरी तरह धोखा-धड़ी का मामला है और उक्त अधिकारी पर प्रथमदृष्टा अपराध बनाता है। वैसे तो कहा यह भी जा रहा है कि आठनेर जनपद ही नही पूरी दस जनपदो में पूरी तरह लूट- खसोट मची हुई है। अधिकारी ऐसी समितियों के पदाधिकारियों के अशिक्षत होने का भरपुर फायदा उठा रहे है। खासकर आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायतो में जहां पर अधिकांश अध्यक्ष एवं सचिव गरीब एवं निरक्षर होते है जिसका फायदा उठाते हुए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी इन भोले-भाले लोगों से कोरे चैक पर हस्ताक्षर ले लेकर उक्त भुगतान की पूरी राशी को हजम कर रहे है जो कि दंडनीय अपराध है। आठनेर जनपद के अधिकांश समिति पदाधिकारियों का आरोप है कि उक्त परियोजना अधिकारी द्वारा लगातार दी जा रही धमकियों से परेशान है। रामरतन अध्यक्ष हरियाली जल ग्रहण समिति, बोरपानी ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से पीओ द्वारा हमसे कोरे चेकों पर साईन लिये जा रहे है, हमारे द्वारा विरोध करने के बाद भी पीओ हमें धमकियां देते इस लिए हम मजबूरीवश चेक साईन करके दे दिया करते थे। इसी कड़ी में अमरलाल, अध्यक्ष  हरियाली जलग्रहण समिति गोंहदा का कहना है कि मैंने अनेक बार कोरे चेक पर साईन करने से मना किया इस आशय की शिकायत मेरे द्वारा दूरभाष पर तत्कालीन जिपं सीईओ को भी की गई थी। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई इस लिए हम लोग पीओ के आगे कोरे चेकों पर साईन करने के लिए विवश थे।

No comments:

Post a Comment