Sunday, April 3, 2011

गधे के सिंग की तरह लापता हो गई नहरे

            गधे के सिंग की तरह लापता हो गई नहरे
        बैतूल से रामकिशोर पंवार
बैतूल.  विश्व के सबसे लोकतंत्र भारत में हाई प्रोफाइल मामलो के अलावा कुख्यात आंतकवादियो - अपराधियों - शासकीय विभागो के भ्रष्ट्र अधिकारियो एवं कर्मचारियो - देशद्रोहियो तथा बहुचर्चित साक्ष्य विहिन संगीन मामलो के अपराधियों को खोज निकालने तथा घोटाले बाज नेताओं एवं अफसरो की नाक में नकेल डालने में महारथ हासील करने वाली केन्द्रीय अनुवेषण जांच ब्यूरो सीबीआई पर भी अब संदेह की ऊंगलियां उठनी षुरू हो गई हैं। बैतूल जिले की दो लापता नहरो की खोज का जिम्मा एक जागरूक नागरिक ने सीबीआई को सौपा था। सापना बांध से बैतूल की ओर निकली एक नहर की दो उप नहरे नेषनल हाइवे 69 ए के दोनो छोरो से गधे के सिंग की तरह लापता हो गई है। सीबीआई तक मामले के पहुंचने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि अब सीबीआई लापता उप नहरो को खोज निकालेगी लेकिन ऐसा आज तक नहीं हुआ। बैतूल जिले में ‘‘ हवन करके हाथ जला लेने की’’ कहावत उस समय चरितार्थ हुई जब उसने भी आम लोगो से बैतूल में राज्य सरकार की तर्ज पर जन सुनवाई कार्यक्रम आयोजित करके सप्रमाण के साथ शिकायते जांच के लिए मंगवाई थी। सीबीआई की इस अनुठी पहल पर पिछले कई सालो से अपनी शिकायतो पर न्याय न मिलने पर आखीर में बैतूल जिला मुख्यालय के कोठी बाजार माता मंदिर दुर्गा वार्ड निवासी आनंद कुमार स्वर्गीय श्री प्रेम नारायण सोनी ने 29 सितम्बर 2009 को भारत सरकार की एक मात्र स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच एजेंसी केन्द्रीय अनुवेषण जांच ब्यूरो सीबीआई. द्वारा बैतूल जिला मुख्यालय पर आयोजित जन सुनवाई शिविर में राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग की एक उप नहर ‘‘ टेल ’’ के लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई थी. सीबीआई ने आवदेक की उक्त् षिकायत के साथ अपनी ओर जांच पत्र के साथ जिला कलैक्टर को पत्र लिखा। सीबीआई का नाम सुन कर अधिकारियों को पसीना तो छुटा लेकिन रूपए की ठंडी हवा ने पूरे मामले की हवा निकाल दी। सीबीआई ने शासकीय दस्तावेजो मे दर्ज उस बटामा उप नहर ‘‘ टेल ’’ को ढुढ़ने के लिए 23 अक्टुम्बर 2009 को बैतूल कलैक्टर आनंद कुरील को पत्र लिख कर बीते कई वर्षो से लापता बटामा उप नहर के मामले की पूरी जानकारी मय दस्तावेजो के साथ उपलब्ध करवाने का निर्देश पत्र जारी कर चुका है। बैतूल जिला कलैक्टर आनंद कुरील ने जल संसाधन विभाग को सीबीआई के उक्त पत्र का उल्लेख करते हुये 26 अक्टुम्बर 2009 को पत्र लिख कर 15 दिनो के भीतर पूरी जानकारी मय दस्तावेजो के साथ उपलब्ध करवाने के लिए आदेश जारी किया था. आज पूरे मामले को सी बी आई के समक्ष लाये पूरे 46 दिन बीत जाने के बाद भी सी बी आई के लिए सिरदर्द बनी लापता बटामा उप नहर ‘‘ टेल ’’ के मामले में जिला प्रशासन अपनी स्थिति को स्पष्ट नही कर सका है कि पूर्व में भी इस उप नहर के लापता होने की शिकायते मिलने के बाद भी उक्त लापता नहर को क्यों नहीं खोज गया था....? अब यहां यह सवाल बार - बार उठता है कि 120 फीट चौड़ी लगभग दो से ढाई किलोमीटर लम्बी बटामा उप नहर ‘‘ टेल ’’ जो कि लगभग 50 से 60 एकड़ शासकीय भूमि से लापता है.यहां पर यह उल्लेखनीय है कि बैतूल जिला मुख्यालय से मात्र बारह किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाइवे 69 के समीप से गुजरने वाली सांपना जलाशय की मुख्य नहर से निकली बटामा उप नहर के लापता होने की शिकायत मय प्रमाण के साथ आनंद कुमार सोनी बीते कई वर्षो से जिला प्रशासन से लेकर राज्य शासन तक कर चुके है. श्री सोनी द्धारा प्रस्तुत की गई शिकायत का केन्द्र बिन्दु रही बटामा उप नहर बैतूल जिले में जल संसाधन विभाग द्धारा बैतूल जिले की बैतूल तहसील में ग्राम खापा के पास 1959 में 48.78 लाख रूपये की क्षमता से सांपना नदी पर सांपना बांध से निकाली गई थी. वर्ष 59 में निर्मित सांपना बांध जो बाद में जलाशय में परिवर्तित किया गया इस जलाशय में वर्षाकाल के दौरान संग्रहित जलक्षमता कहीं बांध को बहा न ले जाये इसलिए सांपना जलाशय की मुख्य नहर से बटमा माइनर नामक उप नहर का निमार्ण कार्य बैतूल अनुविभागीय राजस्व पटवारी हल्का नम्बर 57 के खसरा नम्बर 268 पर किया गया था. इस उप नहर के लिए जल संसाधन ने राजस्व विभाग की मदद से शासकीय मूल्य पर दर्जनो किसानो की भूमि अधिग्रहित कर उन्हे उसका शासकीय मूल्य पर आधारित क्षतिपूर्ति राशी का भुगतान भी किया था. 1959 से इस बनी यह नहर सोहागपुर से लेकर बैतूल बाजार तक आई मुख्य नहर से निकली बटामा उप नहर बैतूल जिला मुख्यालय के द्धारका नगर के पास स्थित माचना नदी से लेकर लगभग दो किलोमीटर तक पूरी तरह लापता है. नहर का गुम हो गई है या उसका अपहरण हो गया है....? इस बात से आशंकित शिकायतकर्त्ता आनंद कुमार सोनी ने उस कथित लापता बटामा उप नहर को खोज निकालने के लिए सी बी आई का दरवाजा खटखटाया. बैतूल में डेरा डाली सी बी आई के लिए लापता नहर की खोज से किसी बडे़ षड़यंत्र के उजागर होने की संभावनायें नजर आने लगी है. इस सारे मामले की दिलचस्प बात यह सामने आई है कि बटामा उप नहर की पुछ जिसे शासकीय दस्तावेजो में ‘‘ टेल ’’ के नाम से रेखाकिंत किया गया है वह सबसे व्यस्तम नेशनल हाइवे 59 से महज 50 से 60 फुट की दूरी से ही अदृश्य है. लापता उप नहर के पास ही बैतूल बाजार पुलिस थाने की बडोरा पुलिस चौकी स्थित है. सोहागपुर - मिलानपुर - आरूल - बैतूल बाजार - बडोरा की कृषि योग्य भूमि की सिंचाई के लिए सांपना जलाशय की मुख्य नहर से निकली इस बटामा उप नहर ‘‘ टेल ’’ की शासकीय भूमि पर 20 से 25 किसानो ने अतिक्रमण ही नहीं किया बल्कि जल संसाधन विभाग की 5 से 7 हेक्टर भूमि को बेच तक डाला. बेची गई तथा अतिक्रमित भूमि पर पक्के भवन - बंगले - मकान - दुकान - माल गोदाम - प्रेट्रोल पम्प लोर मिल तक का निमार्ण कार्य करवा डाला है. बैतूल जिले के इस बहुचर्चित लापता उपनहर ‘‘ टेल ’’ के मामले में अपर कलैक्टर योगेन्द्र सिंह जिला कलैक्टर की ओर से जांच अधिकारी नियुक्त किये जाने के बाद करोड़ो रूपयो की बेशकीमती शासकीय भूमि के मामले में अभी तक राज्य सरकार के राजस्व एवं जल संसाधन विभाग एक दुसरे पर दोषारोपण कर अपनी सासंत में पड़ी जान को बचाने में लगे हुये है. बैतूल जिले में जबसे सी बी आई ने मुलताई तहसील के ग्राम चौथिया के पारधी कांड के दो हजार ज्ञात एवं अज्ञात आरोपियो के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया है तबसे सी बी आई के प्रति जागे लोगो के आत्मविश्वास की कड़ी में जिले में अभी तक हो चुके करोड़ो - अरबो - खरबो के घोटालो को लेकर स्वंय सेवी संगठन एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता तथा जागरूक नागरिक एवं पत्रकार कई संगीन मामलो के मय प्रमाण के साथ सी बी आई के पास उचित न्याय के लिए दस्तक देने लगे हुये है. पूरे मामले का कडवा सच यह हैं कि नेषनल हाइवे के दोनो ओर बनाई गई उप नहरो पर सत्ताधारी दल के नेताओ सहित कई छुटभैया लोगो ने अवैध अतिक्रमण करके पक्का निमार्ण कर रखा हैं। आज के समय नहर पर ही करोडो की लागत से भवनो एवं वेयहर हाऊसो का निमार्ण कार्य हो चुका हैं। ऐसे में अब सीबीआई को मैनेज करके पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल कर 2008 से लेकर आज दिनांक तक पूरा जिला प्रषासन चैन की बंसी बजा रहा हैं।


चैत नवरात्र पर विषेश
दिन भर में तीन रूप बदलती हैं छावल की रेणुका मां
चार सौ साल से भी अधिक पुराना है मातारानी रेणुका का दरबार
बैतूल। आमला से 9 कि.मी. दूरी पर आम की अमराई के बीचों बीच पहाड़ो पर बसी मॉ रेणुका छावल वाली का धाम आज आस्था का धाम बन चुका है मॉ के दरबार के समक्ष भैरव बाबा, हनुमान मंदिर अपनी आस्था के प्रांगण को और  अधिक आस्थावान बनाने में कोई कोर-कसर नही छोड़ रहे है। मंदिरो से घिरे छावल धाम में जो भी जाता है वह निहाल हो जाता है। छावल के गिरी परिवार ही यहॉ पर इस धाम की बाग डोर एंव जिम्मेदारी सम्भाले हुये है। छावलधाम के पुजारी किसन गिर महाराज का कहना है कि इस धाम का इतिहास लगभग 404 साल पुराना है हमारे वंश के लोगो ने ही यहॉ पर पूजा अर्चना करना प्रारंभ कि है लगभग 4 पीढ़ी हो गई है। पहले यहॉ पर घना जंगल था, ऋषिकुल से यह धाम अस्तित्व में आया है। यह एक आस्था का जीता जागता केन्द्र है, जो भी यहॉ मन्नत करेगा उसकी पूरी होती है। दूर-दराज से भक्तगण आते है और अपनी मनोकामना पूरी कर जाते ह। भैरव मंदिर के पुजारी हरिराम नारे कहते है कि मैं लगभग 45 साल से यहॉ बैठता हॅू, छावल धाम में जो भी भक्त आता है वह अपनी मुरादे पूरी पाता है यह एक आस्था का संगम है। नवरात्र में यहॉ मेला सा लगा रहता है, अष्टमी को भंडारा आदि होता है। एंव इस दिन यहॉ पर भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है। मॉ रेणका धाम के समक्ष दुकान लगा रहे कोमल गिर गोस्वामी का कहना है कि इस पवित्र धाम के दर्शन हेतु नागपुर भोपाल बैतूल के अलावा दूसरे प्रान्तो से भी भक्त अपनी मुरादे लेकर आते है और पूरी पाते है चेत्र माह में यहॉ एक माह का मेला लगता है जो क्षेत्र में चर्चा का एंव आस्था का केन्द्र बिन्दु बन जाता है। यहॉ कल-कल करती एक नदी बहती है जो अलग ही सौंदर्य का प्रतिपादित करती है। शांताबाई गोस्वामी एंव देवकी सुरे बोरदेही ने बताया कि मॉ के इस पावन धाम में महिलाओं की आस्था देखते ही बनती है गांवो एंव घरो मे सुख शांती के लिए खुले बालो के साथ पानी चढ़ाने आती है। नीलम, किरण,पूनम, तोरनवाड़ा छात्रा पैदल चलकर उपवास रखकर मॉ रेणुका के धाम पहुॅची और संवाददाता को बताया कि हमे माता रेणुका पर विश्वास है कि हमारे सारे दुःख दर्द दूर कर शिक्षा में ज्ञान में वृद्धि करेगी एंव कष्टो को दूर करेगी। नरेश सरनेकर, भूरा निर्मल, हीरालाल गायकीः पुजारीयों का कहना है माता के इस धाम में सौंदर्य की अनुठी सी बिखरी हुई है दूर दराज से आये भक्त यहॉ पर आस्था की त्रिवेणी बहाते है।  माता के दरबार में हाजरी लगाने नन्हा बालक कुणाल गाव्हाडे़ भी छावल अपने पापा के साथ पहुचा और रेणुका धाम को वैष्णव धाम बताकर जय कारा लगाते हुये मॉ की पूजा की।  राहुल अम्बेडकर शिक्षक  ने बताया कि इस धाम पर वास्तव में भक्तो का सैलाब उमड़ता है जयकारो के बीच माता के प्रति श्रद्धा से दर्शन दर्शन होते है। मुरादे पुरी होती है। छबीराम यादव वकील बोरी  कहते है कि नवरात्र में विशेषकर महिलाओं की आस्था का उदाहरण छावल धाम में दिखाई देता है सुबह 5 बजे से सुबह 8 बजे तक माता के भक्तो का डेरा जमा रहता है। भजन कीर्तन से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। 


अपना देश हैं बड़ा विशाल ,लूटो खाओं हैं बाप का माल
कम उत्पादन बता कर सरकारी कृषि उपयोगी भूमि का गेहूं व्यापारियों को बेच डाला
बैतूल बाजार , रामकिशोर पंवार : किसी ने सही कहा हैं कि अपना देश हैं बड़ा विशाल , इसलिए लूट खाओं हैं बाप का माल...? सरकारी कार्यो में व्याप्त भ्रष्ट्राचार एवं लूट खसोट का ताजा मामला बैतूल जिला मुख्यालय से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाइवे 69 के से लगे बैतूल बाजार स्थित शासकीय कृषि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के एक शिक्षक द्वारा गेहंू की हेराफेरी करने की शिकायत के बाद एसडीएम ने संजीव श्रीवास्तव ने स्कूल पहुंच कर इसकी जांच की। प्रथम दृष्टया गेहंू में हेराफेरी की बात सामने आई है। शिकायत में बताया गया कि शासकीय कृषि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैतूलबाजार के शिक्षक एसके वर्मा द्वारा स्कूल परिसर में उगाए गए गेहूं में हेराफेरी की गई हैं। एसडीएम ने स्कूल में पदस्थ शिक्षकों से पूछताछ कर रिकार्डों की जांच की। जांच में 22 एकड़ जमीन में 171 क्विंटल गेहंू और इतने ही रकबे में 52 क्विंटल सोयाबीन होना पाया गया है। 22 एकड़ के हिसाब से बहुत कम उत्पादन होना बताया जा रहा है। एसडीएम गेहंू की जांच करने सुजीत वर्मा के गोडाउन भी पहुंचे। यहां पर 1 हजार 60 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 150 क्विंटल गेहंू बेचा जाना पाया गया है। इसके बाद एसडीएम उमेश राठौर के गोदाम भी पहुंचे। राठौर ने अजय पटेल से गेहंू खरीदना बताया है। गेहंू में हेराफेरी की शिकायत पर जांच के लिए गए थे। जांच में प्रथम दृष्टया गेहंू की हेराफेरी नजर आ रही है। बैतूल बाजार के कृषि हायर सेकंडरी स्कूल में शिक्षकों ने स्कूल की जमीन में उगाए गेहूं में हेराफेरी का प्रयास किया। स्कूल के ही कुछ शिक्षकों ने इस की सूचना एसडीएम को दी। एसडीएम ने तत्काल स्कूल में जाकर प्राचार्य और खेती का काम देखने वाले शिक्षक को तलब किया। उन्होंने स्कूल का रिकार्ड जांच के लिए जब्त कर लिया। बैतूलबाजार कृषि हायर सेकंडरी स्कूल के खेत से निकाले गए गेहूं को प्राचार्य और एक शिक्षक की मिलीभगत से रातोंरात बेच दिया गया। स्कूल परिसर में पिछले कई वर्षो से होने वाले अनाज उत्पादन और बिक्री को लेकर समय - समय पर शिकवा - शिकायतें होती रही लेकिन बेचने वाले से लेकर खरीदने वाले तक बैतूल बाजार के स्थानीय निवासी होने की वजह से हर बार मामला तो उठता लेकिन हर बार दबा दिया जाता रहा हैं। इस बार भी दो व्यापारियों के बीच गेहूं की खरीदी को लेकर हुई प्रतिस्पर्धा के चलते उक्त मामला खुल कर सामने आ गया। शिकचा - शिकायतों के संदर्भ में बैतूल एसडीएम ने घटना स्थल पहुंच कर घटना संबंधी दस्तावेजों की जांच की। प्राथमिक जांच में धांधली के साफ संकेत मिले हैं। एसडीएम ने कहा कि मामले में कुछ लोगों से पूछताछ की गई है। यह भी प्रतीत हो रहा है कि गेहूं का उत्पादन बेहद कम दर्शाया गया है। स्कूल परिसर की 22 एकड़ जमीन में इस बार गेहूं बोया गया था। जिसकी थ्रेसिंग हार्वेस्टर से कराई गई। सूत्रों के मुताबिक हार्वेस्टर से 25 टब गेहूं निकाला गया। एक टब में 15 से 16 क्विंटल गेहूं निकलता है। इस हिसाब से गेहूं का उत्पादन 375 से 400 क्विंटल होना था। जबकि स्कूल के रिकार्ड में महज 171 क्विंटल उत्पादन होना बताया गया। इसमें 150 क्विंटल गेहूं भी एक व्यापारी को बेच दिया गया। शिकायत कर्ताओं ने बताया कि थ्रेसिंग के दिन ही 4 ट्राली गेहूं स्थानीय व्यापारियों को बेचा गया। इसमें एक व्यापारी से एसडीएम ने पूछताछ की। एसडीएम ने शनिवार को स्कूल के आय व्यय और अन्य दस्तावेजों का अवलोकन किया तो उन्हें अनियमितताओं की आशंका नजर आई। सूक्ष्म जांच के लिए उन्होंने सभी दस्तावेज जब्त कर लिए। लगभग एक घंटे तक स्कूल के प्राचार्य बीएल सरेयाम व शिक्षक एसके वर्मा से सवाल - जवाब किए। बताया जा रहा है कि स्कूल की जमीन पर इस साल 18 से 20 क्विंटल गेहूं का उत्पादन हुआ है लेकिन रातोंरात हुई धांधली से यह उत्पादन लगभग 8 क्विंटल पर आ गया। सूचना के आधार पर जांच की जा रही है। रिपोर्ट के आधार पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई तय की जाएगी। बताया जाता हैं कि उक्त गोरखधंधा बरसो से चला आ रहा हैं। जिले में ऐसे कई शासकीय विभाग हैं जिनके पास खाली पड़ी जमीन पर खेती कार्य होता तो हैं लेकिन उत्पादित अनाज को आपस में बाट लेने या बेच डालने की परम्परा चली आ रही हैं। ऐसा अनाज के उत्पादन में ही नहीं बल्कि फल और फूलो के उत्पादन में भी हो रहा हैं। जिले के कई विभागो के कार्यालयों एवं प्रभार वाले परिसर में मौसमी फलो का उत्पादन तो होता हैं लेकिन उसकी बिक्री नहीं बताई जाती हैं।

No comments:

Post a Comment