Sunday, January 30, 2011

बैतूल जिले में किसानो का नहीं कम हो रहा दर्द , अब किसान पशुओ को चरा रहे है गेंहू की फसल 78 करोड़ का नुकसान लेकिन फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा देने में पक्षपात कर रही है सरकार

बैतूल जिले में किसानो का नहीं कम हो रहा दर्द , अब किसान पशुओ को चरा रहे है गेंहू की फसल
78 करोड़ का नुकसान लेकिन फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा देने में पक्षपात कर रही है सरकार
बैतूल,रामकिशोर पंवार: जिस दिन बैतूल में प्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा बैठक ले रहे थे उस दिन बैतूल जिला मुख्यालय से 43 किलोमीटर की दूरी पर पाले से बर्बाद हुई फसल को एक किसान पशुओं को खिला रहा था। आठनेर के सावंगी पंचायत के एक किसान ने पाले से बर्बाद हुई गेहूं की फसल को पशुओं के चरने के लिए इसलिए छोड़ दिया ताकि दो में से किसी एक की भूख शांत हो सके। भूखमरी के हाल पर आ गये बैतूल जिले के किसानो के पास इसके अलावा कोई दुसरा विकल्प शेष नहीं बचा है। श्यामराव लिखितकर नामक इस किसान ने पांच एकड़ में हजारों रुपए की लागत से गेहूं की फसल तैयार की थी, लेकिन तेज ठंड और पाले के कहर से गेहूं की बालियों में दाने नहीं आए। किसान के पास फसल को चराने और कटवाने के सिवाए कोई रास्त नहीं रह गया था। राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा ने कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में जिले के राजस्व अधिकारियों की बैठक ली। किसानो की फसल पर कोई ठोस निर्णय या सलाह करने के बजाय उन्हे इस बात की चिंता थी कि उनके शासन काल में पार्टी के जनप्रतिनिधियो को किसी प्रकार की शिकवा - शिकायते करने का मौका न मिले। मंत्री जी ने स्पष्ट कहा कि जनप्रतिनिधि कहते हैं, तो ही जाया करें। जनप्रतिनिधि जनता का चुना हुआ व्यक्ति होता है। यदि वह किसी प्रकार कि प्रार्थना करें तो उन्हे नियमों के दायरे न बता कर उनकी बातो को मदद का सवाल समझ कर थोड़ा भावनात्मक, रचनात्मक रवैया अपनाएं, नियमों का हवाला ना दें। उन्होंने कहा कि भू-अधिकार पुस्तिका बांटने जाएं तो जनप्रतिनिधियों को भी साथ ले जाएं। फसल के बर्बाद होने से किसानो की प्रदेश में लगातार हो रही आत्महत्याओ एवं आत्महत्या के प्रयासो के मामलो के बाद भी मंत्री ने किसी भी गांव के किसान के पास पहुंच कर उनके दुख:दर्द को बाटने के बजाय वे जिले के अफसरो को जनप्रतिनिधियों का दुख:दर्द बाटने की नसीहत देख कर चलते बने।
                प्राकृतिक आपदा से आहत किसानो किसानों को मुआवजा देने के लिए प्रदेश मुख्यालय से शुरू होकर कांग्रेस का आंदोलन अब बैतूल जिले के प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर पहुंच गया है। भोपाल में हुए लाठी चार्ज की ब्लॉक के कांग्रेसियों ने निंदा की है। प्रदेश सरकार का पुतला फूंक कर विरोध प्रदर्शन किया। ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष तिरूपति एरूलू के नेतृत्व में इक_ा हुए कांग्रेसियों ने जमकर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया। कांग्रेसियों का आरोप है कि प्रदेश सरकार किसानों की पीड़ा को लाठियों के बल पर दबाना चाहती है। पुतला दहन कार्यक्रम में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष तिरूपति एरूलू ने कहा कि कांग्रेसी भोपाल में फसल के नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन प्रदेश सरकार उनकी अवाज को दमनकारी नीति के जरिए लाठियों के बल पर दबाना चाहती है। कांग्रेस इस नीति को बर्दाश्त नहीं करेगी। शापिंग सेंटर सारनी में प्रदेश सरकार की किसान विरोधी सरकार का पुतला दहन किया गया। इसी कड़ी में बैतूल जिला मुख्यालय के लिली चौक पर युवक कांग्रेस ने प्रदेश के मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। पुलिस ने पुतले को बचाने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सके। कांग्रेसियों ने लाठी चार्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने, पुन: सर्वे कराने की मांग की है। कांग्रेसियों द्वारा सोमवार को भी इसको लेकर कलेक्टे्रट के सामने धरना प्रदर्शन दिया गया। कांग्रेसियों ने पाले से प्रभावित फसल के सर्वे में भी भेदभाव करने का आरोप लगाया है। किसानों ने बताया कि भाजपा नेताओं के खेतों का सर्वे किया जा रहा है। वहीं कांग्रेस नेताओं के खेत छोड़ दिए जा रहे हंैं। मुआवजा राशि भी कम दी जा रही है। कांग्रेसियों ने पुन:सर्वे कर राहत राशि बढ़ाने की मांग की है।                          जिले में फसल नुकसानी के मामले में जिला प्रशासन ने राहत आयोग को नुकसान के आंकलन की अंतिम रिपोर्ट रविवार की शाम को भेज दी। इस रिपोर्ट में जिले में तकरीबन 78 करोड़ रूपए का नुकसान बताया गया है। वैसे अभी तक जिले को राहत के लिए महज एक करोड़ रूपए ही मिले हैं। जिसमें से एक हफ्ते में सिर्फ 50 लाख ही खर्च हो पाए हैं। फसल नुकसानी में सर्वे और राहत वितरण अन्य जिलों की तुलना में बैतूल जिले में बहुत धीमी गति से हो रहा है। यही कारण है कि जहां सिहोर में पांच करोड़ की दूसरी किश्त मिल चुकी है। वहीं बैतूल जिले में अभी तक एक करोड़ में से सिर्फ 50 लाख ही किसानों तक पहुंचे हैं। जिले से तहसील के अनुसार जो रिपोर्ट भेजी गई है। उसमें सर्वाधिक नुकसान 29 करोड़ 51 लाख रूपए मुलताई तहसील का बताया गया है। इसके अलावा घोड़ाडोंगरी का 23 करोड़ 60 लाख बैतूल का 15 करोड़, शाहपुर का एक करोड़ 32 लाख, चिचोली तीन करोड़, भैंसदेही 10 करोड़ 23 लाख, आठनेर 12 करोड़ 14 लाख, आमला चार करोड़ 31 लाख रूपए का नुकसान आंका गया है।
                        बैतूल जिले में किसानो पहले तो प्राकृतिक आपदा की मार पड़ी लेकिन अब बिजली विभाग के अधिकारियों ने भी किसानों को करंट लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। जिले के पाढर सब स्टेशन से जुड़े साकादेही और सिल्लौर गांव में बिजली कर्मचारियों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर 13 किसानों के खेतों में से सर्विस लाइन, मीटर और स्टार्टर के साथ तार भी जब्त कर लिए। प्राप्त जानकारी के अनुसार पाढर सब स्टेशन में पदस्थ 4 बिजली कर्मचारी द्वारा सिल्लौर और साकादेही गांवों में बिजली बिल की बकाया राशि वसूली के लिए निकले थे। जिन किसानों ने बिजली बिल की राशि नहीं दी उन किसानों के कुओं पर लगे बिजली कनेक्शन की सर्विस लाइन, मीटर, स्टार्टर और अन्य सामान उठाकर चलते बने। किसानों के खेत से जब्त सामान पाढर कार्यालय में जमा करने के बजाय कर्मचारी बैतूल ले गए। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि यह कार्रवाई जेई के निर्देश पर की गई है। बिजली कर्मचारियों की कार्रवाई के बाद गांव में आक्रोश पनप रहा है। देर शाम को पूर्व सरपंच बुद्धूलाल परते के साथ चौपाल पर पचासों लोग जमा हो गए। श्री परते ने बताया कि 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक बमुश्किल 5 दिन बिजली मिल पाई। तीन बार ट्रांसफार्मर सुधारा गया। जब किसानों ने विधायक के पास गुहार लगाई तब भोपाल से नया ट्रांसफार्मर मंगाकर लगाया गया। किसान धनराज यादव, गोकुल कोगे, शिव यादव ने बिजली कर्मचारियों की कार्रवाई को तानाशाही बताते हुए कहा कि इस समय किसानों की फसल चौपट हो गई है। जिन किसानों के कनेक्शन काटे गए उन पर महज डेढ़ हजार से 4 हजार रुपए का बिल बाकी है। कनेक्शन निकालने के बाद किसानों को सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ेगा। खेतों में खड़ी फसल सूख जाएगी। किसानों को बिल जमा करने की मोहलत मिलनी चाहिए।बिजली विभाग के कर्मचारियों ने साकादेही गांव में पूरनलाल यादव के खेत में मौजूइ महिलाओं से कहा कि काम में अड़ंगा डालोगी तो केस बना देंगे। साकादेही गांव में अमरचंद मुंशी यादव, बाबूलाल यादव व शोभाराम प्रधान के कनेक्शन काटे गए। सिल्लौट गांव में बिजली कर्मचारियों ने 9 कनेक्शन निकाल दिए, जिनकी जानकारी देने में कर्मचारी आनाकानी करते रहे।



   

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