Saturday, January 29, 2011

बैतूल जिले में पुलिस चुन - चुन कर पत्रकारो को निपटाने मंे लगी है


बैतूल जिले में पुलिस चुन - चुन कर पत्रकारो को निपटाने मंे लगी है
सीधे आरपार की लडाई के बदले चोर उच्चको का ले रही सहारा
  बैतूल. मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में आपा खो चुकी पुलिस अब पत्रकारो को ही टारगेट बना कर उन्हे किसी न किसी तरह से निपटाने में लगी हुई है। जिले में हर तीसरा नामचीन पत्रकार पुलिस की किसी न किसी प्रकार की यातना का शिकार बन चुका है। पुलिस जिन पत्रकारो के गिरेबान में सीधे हाथ नही डाल सकती है उन्हे निपटाने के लिए वह अब चोर - उच्चको का सहाराले रही है। बैतूल जिले में एक दर्जन से अधिक पत्रकारो पर पुलिस ने नामजद प्रकरण दर्ज किये है तथा इतने ही पत्रकारो को या तो पिटवाया है या फिर उनके कार्यालयो - घरो में सेंघ लगा कर चोरी करवाई है। बैतूल जिले की पुलिस ने दैनिक पंजाब केसरी के पत्रकार की लेखनी से आहत होकर जहां एक ओर उसके खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही शुरू करवा दी है वही दुसरी ओर उसने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में खुले आम अपने तथाकथित बिगडैल अफसर सुनील लाटा से यूनीवार्ता के पत्रकार वामन पोटे को बेरहमी से पीटा और उसके शरीर के कपडे तक फाड डाले। पुलिस ने पी टी आई के पत्रकार मयंक भार्गव के घर पर चोरो को भिजवा कर उसका मोबाइल तक उडा दिया। दैनिक लोकमत समाचार नागपुर के पत्रकार अनिल सिंह ठाकुर के कार्यालय में चोरो का धावा और कार्यालय से चोरी करवाया गया टी वी एवं अन्य सामान आज तक बरामद नहीं हुआ। इसी तरह नवभारत भोपाल के पत्रकार विनय वर्मा के कार्यालय में सेंधमारी करवाने में कोई कसर नहीं छोडी। पुलिस ने दैनिक नवदुनिया भोपाल के पत्रकार पंकज सोनी के कार्यालय के समक्ष खडी उनकी नई नवेली बाइक तक उडवाने में कोई कसर नहीं छोडी है। इसी कडी मेे पुलिस द्वारा सहारा समय के पत्रकार इरशाद हिन्दुस्तानी के घर के सामने रखा दो टन लोहा तक पर चोरो से हाथ तक साफ करवाया दिया। इसमें से मयंक भार्गव , अनिल सिंह ठाकुर , विनय वर्मा , वामन पोटे , पंकज सोनी , इरशाद हिन्दुस्तानी सभी राज्य शासन द्वारा अधिमान्य पत्रकार होने के साथ - साथ पुलिस की शांती समिति के सदस्य भी है। इसके पूर्व पुलिस ने सहारा समय के पत्रकार इरशाद हिन्दुस्तानी , एन डी टी वी , के अकील अहमद , ई टी वी के ऋीषि नायडू को नक्सल वादी तक कह डाला था और उन्हे राहुल गांधी के प्रोगाम से वंचित रख दिया था। इन सभी पत्रकारो में मात्र पुलिस अधिक्षक के अभिन्न मित्र एवं परिवारीक सदस्य मयंक भार्गव का ही चोरी गया मोबाइल मिला बाकी पत्रकारो का सामान आज तक लापतागंज की तरह लापता है। बैतूल जिला मुख्यालय के जब ऐसे हाल है तब जिले के अन्य क्षेत्रो में पत्रकार प्रताडना के मामले घटित होना आम बात है। मुलताई पुलिस ने कथित फर्जी मामले में बैतूल के पत्रकार सरदार सुखदर्शन सिंह बंटी के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया जबकि बैतूल से मुलताई 45 किलोमीटर दूर है। इसी तरह सारनी में रजत परिहार एवं राजेन्द बंत्रप के खिलाफ भी पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज किये जा चुके है। पुलिस बैतूल में दैनिक वीर अर्जून दिल्ली एवं न्यूज 24 के पत्रकार सुनील पलेरिया , दैनिक आज की हलचल के आनंद सोनी सहित कई पत्रकारो को झुठे प्रकरणो में जेल तक भिजवा चुकी है। बैतूल पुलिस की माने तो वह सब के साथ समान व्यवहार कर रही है इसलिए वह पत्रकारो को समय - समय पर इस बात का अहसास कराती रहती है कि पुलिस सगे बाप की भी नहीं होती है। बरहाल में बैतूल जिले में पत्रकार प्रताडना का मामला प्रेस कौसिंल आफ इंडिया तक पहुंचने के बाद भी पुलिस की हरकतो में कोई सुधार नहीं आ सका है। सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर काम कर रही पुलिस उन पत्रकारो को टारगेट बना रही है जो कि पुलिस - प्रशासन - भाजपा - और राज्य सरकार के लिए सरदर्द बने हुये है।    

1 comment:

  1. AApne bahut sahi baat likhi hai ramu bhaiya. saare patrakar aapke saath hai.

    ReplyDelete